अकेला

आज देश जिस पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के बारे में पढ़कर सकते में है, यह सिर्फ घोटाला नहीं है, महा घोटाला है | अकेला ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन – एबीआई ( http://abinet.org/ ) ने इस घोटाले के बारे में वर्ष २०१३ में मुंबई पुलिस को बताया था | नीरव मोदी ने सिर्फ पंजाब नेशनल बैंक को ही नहीं कम से काम 14 बैंको को ठगा है |

बुधवार को जब एबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक और नीरव मोदी के 11400 करोड़ रुपये के घोटाले के बारे में पढ़ा तो सकते में आ गया | एबीआई को तब कुछ सबूत हाथ लगे थे | गहन छानबीन के बाद एबीआई ने तब के मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को घोटाले और इसकी गंभीरता के बारे में बताया था | राकेश मारिया ने तब आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त आयुक्त राजवर्द्धन सिन्हा को जाँच के लिए फ़ोन किया था | एबीआई ने तब राजवर्द्धन सिन्हा से मुलाकात की और घोटाले के बारे में बताया। एबीआई ने राजवर्द्धन सिन्हा से दो बार मुलाकात की थी | 3 सितंबर 2013 को लिखित में घोटाले की मोडसआपरेंडी के बारे में बताया था । राजवर्द्धन सिन्हा ने घोटाले में दिलचस्पी नहीं दिखाई। सिन्हा ने मामले को रिकार्ड पर नहीं लिया और चूंकि घोटाले में 14 बड़े बैंक और नीरव मोदी जैसा घोटालेबाज़ शामिल था तो एबीआई ने मानहानि के मुकदमे के डर से न्यूज़ प्रकाशित करने का विचार त्याग दिया। तब एबीआई के पास 5100 करोड़ रुपये के घोटाले के सबूत थे |

एक अन्य घोटाले की वजह से नीरव मोदी का यह बैंक घोटाला एबीआई के पास पहुंचा था | तब स्थानीय गाँवदेवी पुलिस नीरव मोदी का खुलकर सपोर्ट कर रही थी |

एबीआई के पास इस बात के सबूत मौजूद हैं कि नीरव मोदी ने किस किस बैंक को तब कितने -कितने का चूना लगाया था | पीएनबी के अलावा मोदी ने बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक, आंध्रा बैंक, देना बैंक, ओरिएण्टल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, सिंडिकेट बैंक, आईडीबीआई बैंक, कार्पोरेशन बैंक, विजया बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पीएनबी इन्वेस्टमेंट सर्विस लिमिटेड को ठगा है |

नीरव मोदी ने फायरस्टोन ट्रेडिंग प्रायवेट लिमिटेड, फायरस्टार इंटरनेशनल प्रायवेट लिमिटेड और फ़ायरस्टार डायमंड इंटरनेशनल प्रायवेट लिमिटेड जैसी ३० फर्जी कम्पनियों के जरिये घोटाले को अंजाम दिया है | इसकी हेड आफिस ट्रेड पॉइंट बिल्डिंग, सेकंड फ्लोर, कमला मिल्स कम्पाउंड, लोअर परेल में है |

पाठकों के आग्रह पर एबीआई यह लेख हिंदी में लिख रहा है |

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