राजेंद्रसिंह भुल्लर (महाराज)

अकेला 

एबीआई (abinet.org) यूँ ही नहीं लिखता ‘इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर (IT HAPPENS ONLY IN ULHASNAGAR)।’ यहां कोई भी, कुछ भी कर सकता है। यहां बड़े-बड़े, मध्यम-मध्यम, छोटे-छोटे भू माफिया तो हैं ही। पटाखा व्यापारी जैसे चिरकुट भी सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करने की ज़ुर्रत कर लेते हैं। कारण, यहां कमिश्नर ‘अज़ीज़’ नहीं है, रुपया अज़ीज़ है। ‘ज़मीर’ तो सबका (मतलब सबका) मर ही चुका है। फॉर्मेलिटी के लिए यहां लेंगरेकर के साथ ‘जमीर’ शब्द जोड़कर एक अधिकारी बैठाया हुआ है।

उमपा मुख्यालय

प्रभाग समिति क्रमांक-1 के अंतर्गत, अमन सिनेमा रोड, उल्हासनगर-3 में भूखंड क्रमांक- 705 पर कैलाश सुरेश ठारवानी (Kailash Suresh Tharwani) ने कब्ज़ा कर लिया है। लगभग 3000 वर्ग फुट का यह भूखंड गार्डेन के लिए आरक्षित है। कैलाश ठारवानी ने इस भूखंड पर दो बड़ी-बड़ी दुकानें (आरसीसी) बना लीं। उल्हासनगर की परम्परा, रीति-रिवाज़ ठारवानी को मालूम है। शिकायत आते ही, परम्परा के तहत वह तुरंत उल्हासनगर कोर्ट में चला गया। मजिस्ट्रेट वी. एच. चव्हाण (Magistrate V. H. Chavhan) ने ठारवानी के फेवर में फैसला देते हुए ‘स्टेटस को’ का आदेश दे दिया। मजिस्ट्रेट ने ठारवानी से प्रॉपर्टी का मालिकाना डॉक्युमेंट्स माँगा। ठारवानी दे नहीं पाया तो मजिस्ट्रेट ने 5 मई 2022 को पहले का आदेश रद्द कर दिया। कायदे से महापालिका प्रशासन को उक्त अवैध निर्माण को तोड़ देना चाहिए था। कैलाश ठारवानी के भी खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन ने वैसा किया नहीं। 

शिवसेना के वरिष्ठ नगरसेवक राजेंद्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’ (Senior Most Corporator of Shiv Sena Rajendrasingh Bhullar ‘Maharaj’) ने पहले 13 जून 2022, फिर 24 जून 2022 (रिमाइंडर) और फिर 14 दिसम्बर 2022 को कैलाश ठारवानी के खिलाफ एक्शन लेने के लिए शिकायतें कीं। एक बार तो अतिरिक्त आयुक्त जमीर लेंगरेकर (Jamir Lengarekar) से पर्सनल मिलकर कैलाश ठारवानी पर कार्रवाई की मांग की। लेंगरेकर ने भुल्लर महाराज से कहा कि कमिश्नर अज़ीज़ शेख (UMC Commissioner Aziz Shaikh) से पूछकर वे एक्शन लेंगे। कोर्ट में मामला रिजेक्ट हुए भी महीना हो गया। कैलाश ठारवानी ने सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किया हुआ है। अगर लेंगरेकर के पास थोड़ा सा भी ‘जमीर’ बचा होता तो वे अज़ीज़ शेख से पूछने की नौटंकी नहीं करते। तुरंत एक्शन लेते। प्रभाग अधिकारी अजीत गोवारी (Ajit Govari) को एसीबी (ACB) पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। फिर भी शेख, लेंगरेकर और अन्य अधिकारियों के लिए ‘लक्ष्मी’ ही अज़ीज़ है। कैलाश ठारवानी के ‘लक्ष्मी बम’ के सामने ये सब फुस्स हुए पड़े हैं। 

भुल्लर महाराज ने मांग की है कि कैलाश ठारवानी के इस अवैध निर्माण को पोखलेन मशीन से तोड़ा जाये। महापालिका कर्मचारी सिर्फ चार हथौड़ा मारकर फॉर्मेलिटी करते हैं। तोडू कार्रवाई का खर्चा भी कैलाश ठारवानी से ही वसूला जाये।

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