अजीत भाटिया

अकेला 

इसी माह 7 अक्टूबर 2022 को एबीआई (ABI) ने खबर प्रकाशित की थी कि उल्हासनगर शहर के विधायक कुमार आयलानी (Kumar Ailani, MLA Ulhasnagar City) ने फर्जी डॉक्युमेंट्स बनाने वाले गैंग के खिलाफ शिकायत कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। अब एबीआई (abinet.org) को एक एफआईआर (FIR) की कॉपी मिली है जिसमें प्रशासक और उप विभागीय अधिकारी जगतसिंह गिरासे (Administrator Jagatsingh Girase) ने खुद फर्जी डॉक्युमेंट्स बनानेवाले गैंग के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। फर्जी डॉक्युमेंट्स बनानेवाले इस गैंग के मुखिया का नाम अजीत भाटिया (Ajit Bhatia) है। 

जगतसिंह गिरासे ने 10 अक्टूबर 2017 को उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन (Central Police Station, Ulhasnagar-3) में अर्जी दी और 20 अक्टूबर 2017 को पुलिस ने घनश्याम तुनिया (Ghanshyam Tunia), मुकेश दुधानी (Mukesh Dudhani), राजेश दुधानी (Rajesh Dudhani), चन्दर चावला (Chander Chawla), किशन लाहोरी (Kishan Lahori), सेवलदास बिजलानी (Sevaldas Bijlani) और भागीबाई बिजलानी (Bhagibai Bijlani) के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 467, 465, 471 और 120 (बी) के तहत एफआईआर (संख्या-315/2017) दर्ज की। घनश्याम तुनिया लोहे का बड़ा व्यापारी है और किशन लाहोरी बदनाम बिल्डर। 

एफआईआर के अनुसार आरोपियों-घनश्याम तुनिया, मुकेश दुधानी, राजेश दुधानी, चन्दर चावला और किशन लाहोरी-ने एक प्लॉट खरीदा। यह प्लॉट इन्होंने घनश्याम तुनिया की ऑफिस में काम करनेवाले सेवलदास बिजलानी और उसकी पत्नी भागीबाई के नाम खरीदा। प्लॉट की बाकायदा रजिस्ट्री हो गई। यह प्लॉट ( भूमापन क्रमांक – 8872, यू नंबर- 128, 130, प्लॉट नंबर- 620, 621, चालता क्रमांक- 218, 219, सीट नंबर- 76 ) बैरक नंबर-758 के बगल, चोपड़ा कोर्ट के पीछे, उल्हासनगर-3 में है। 

प्लॉट खरीददारों ने प्लॉट का प्रॉपर्टी कार्ड (Property Card) और टीएलआर (TLR) बनवाने का ठेका अजीत भाटिया (Ajit Bhatia) को दिया। अजीत भाटिया ने सेवलदास बिजलानी और उसकी पत्नी भागीबाई के नाम नगर भूमापन (City Survey) विभाग में अर्जी दी। इस बीच खरीददारों का व्यवहार प्लॉट मालिक के प्रति बदल गया। उन्होंने जितने की डील हुई थी उससे कम कीमत प्लॉट मालिक को दी। प्लॉट मालिक के रिश्तेदार मोती दुसेजा उर्फ़ सोनू (Moti Duseja alias Sonu) ने यह बात अपने एक शुभचिंतक (Well Wisher) को बताई। शुभचिंतक सरकारी कागजातों की जानकारी रखता है। उसने देखा कि प्लॉट की रजिस्ट्री (क्रमांक- 311/2015) 16 फरवरी 2015 को हुई है, जबकि प्लॉट की सनद थी ही नहीं। बिना सनद के रजिस्ट्री कैसे हुई। अजीत भाटिया (Ajit Bhatia) ने प्लॉट मालिक को सनद बनाकर दी थी। 

इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर (IT HAPPENS ONLY IN ULHASNAGAR) 

गौरतलब है कि वर्ष 2007 से 2017 तक सरकार ने सनद बनाने पर पाबन्दी लगा दी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लंबित था। अजीत भाटिया (Ajit Bhatia) ने वर्ष 2010-2011 की सनद बना दी थी। जांच में मालूम पड़ा कि दो डॉक्युमेंट्स के ऑउटवर्ड (सीरियल) नंबर (117) भी एक ही थे।

मोती दुसेजा ने 27 फरवरी 2015 को नगर भूमापन तथा अन्य सरकारी विभागों में शिकायत कर दी। नगर भूमापन विभाग ने डॉक्युमेंट्स (खासकर हस्ताक्षर) सत्यापन के लिए अपराध अन्वेषण विभाग, पुणे भेज दिया। 5 मई 2017 को अपराध अन्वेषण विभाग, पुणे ने रिपोर्ट दी कि सनद नकली है और डॉक्युमेंट्स पर हस्ताक्षर भी नकली हैं। इसके बाद प्रशासक जगतसिंह गिरासे ने पुलिस में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी। गिरासे ने प्लॉट पर बोर्ड भी लगा दिया कि यह प्लॉट महाराष्ट्र शासन का है। अतिक्रमण करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सभी आरोपियों को कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली हुई है और जांच के लिए मामला आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing), ठाणे के अधीन है। 

अब आप, कोई भी या अजीत भाटिया कहेगा कि इसमें अजीत भाटिया आरोपी कैसे हुआ। तो देखो, चोर, बेईमान, धूर्त, अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो सबूत छोड़ता ही है। सेवलदास बिजलानी के नाम नगर भूमापन विभाग में अजीत भाटिया ने 23 दिसम्बर 2014 को जो अर्जी दी थी उसमें पता अपनी ऑफिस (शॉप नंबर- 1, सयानी सदन, उल्हासनगर-2) का और मोबाइल नंबर (9850098200) भी अपना ही लिखा था। अगर आर्थिक अपराध शाखा ने ईमानदारी से जांच की तो अजीत भाटिया भी आरोपी बनेगा।

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