अकेला
ठाणे पुलिस कमिश्नर आशुतोष डुंबरे की ठाणे शहर में बल्ले बल्ले हो रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर आशुतोष डुंबरे ने मुंब्रा ट्रैफिक के 39 पुलिसकर्मियों का थोक में तबादला कर दिया है। सभी पुलिसकर्मियों को पनिशमेंट पोस्टिंग के तहत ठाणे पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया है।
16 फरवरी 2024 को सोशल मीडिया पर एक वीडिओ वायरल हुआ। वीडिओ में दिख रहा है कि मुंब्रा के शीलफाटा पर भारी ट्रैफिक जाम है। ट्रैफिक जाम की वजह ट्रैफिक विभाग के पुलिस कर्मचारी थे, जो बड़े-बड़े वाहनों को रोक कर रुपये वसूल रहे थे। एक ऑटो रिक्शाचालक ने भी ऑन कैमरा बताया कि यह रोज़मर्रा की बात है। रिश्वत लेने की वजह से ही यहाँ जाम लगता है। इस वीडिओ के संज्ञान में आते ही आशुतोष डुंबरे ने शनिवार को मुंब्रा ट्रैफिक उपविभाग में कार्यरत सभी 39 कर्मियों का एकसाथ तबादला कर दिया। वह भी कम कमाई वाली जगह, पुलिस मुख्यालय में। आशुतोष डुंबरे पहले ठाणे में संयुक्त पुलिस आयुक्त थे। विभाग में उनका नाम खराब नहीं है। इस तबादले के बाद से लोग उनकी वाहवाही कर रहे हैं।
जिन पुलिसकर्मियों के तबादले हुए हैं उनके नाम हैं- इंस्पेक्टर सुरेश खेड़ेकर, एएसआई अख़लाक़ पीरज़ादे, एएसआई अरमान तड़वी, एएसआई सुनील गणपते, एएसआई शांताराम बोरसे, हवलदार माणिक पाटिल, हवलदार महेश भोसले, हवलदार विजय बोरसे, हवलदार शैलेश शिंदे, हवलदार अशोक देशमुख, हवलदार बापू साबले, हवलदार दत्तात्रय खिलारी, हवलदार ललित वाकड़े, हवलदार अभिजीत कुलथे, हवलदार सोमनाथ टबाले, हवलदार मोहन पाटिल, हवलदार नितिन जावले, हवलदार शांताराम मालकर, हवलदार रवींद्र हाडल, हवलदार परेश बेलेकर, हवलदार जीवन नन्दूरकर, सिपाही बालू स्वामी, सिपाही रमेश पाटिल, सिपाही कमलेश पाटिल, सिपाही लक्ष्मण पाटिल, सिपाही संजय सावंत, सिपाही अमोल सूर्यवंशी, सिपाही संजीव तड़वी, सिपाही राजीव दूधभाते, सिपाही अमोल कोली, सिपाही जगदीश पाटिल, सिपाही योगेश लोभी, सिपाही गोरख शेलके, नाईक सचिन फटांगरे, नाईक दत्तात्रय गायकवाड़, नाईक भरत कांदलकर, सचिन काले, नाईक संदीप खाड़े और नाईक जीतेन्द्र पाटिल। इंस्पेक्टर सुरेश खेड़ेकर की जगह ट्रैफिक कण्ट्रोल रूम के इंस्पेक्टर समाधान चव्हाण की पोस्टिंग की गई है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुंब्रा ट्रैफिक विभाग के ही कर्मचारी रिश्वतखोर हैं। शहर के प्रत्येक इंट्री प्वाइंट पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी खुद रिश्वत देकर ड्यूटी लगवाते हैं। उदाहरण के लिए भिवंडी के नारपोली ट्रैफिक विभाग में भी धुंआधार रिश्वतखोरी होती है। यहां से गुजरनेवाली नेशनल हाइवे नंबर 3 को महाराष्ट्र की लाइफ लाइन कहा जाता है तो नारपोली ट्रैफिक विभाग के कर्मचारियों की भी लाइफ बनाता है। नारपोली ट्रैफिक विभाग में काम कर चुके एक कर्मचारी ने ABI को बताया कि नारपोली ट्रैफिक विभाग यहां से महीने में कम से कम 45 लाख रुपए वसूलता है। यहां के इंस्पेक्टर श्रीकांत सोंडे ने सेटिंग कर यहीं पर वापस पोस्टिंग पा ली। कमाई है तभी न।
अम्बरनाथ की ट्रैफिक पुलिस की भी बहुत शिकायतें हैं। एमआईडीसी और व्यस्त सड़क मार्ग होने की वजह से यहां भी उतनी ही कमाई होती है। माह में एक बार ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी की रिश्वत लेते वीडिओ वायरल होती ही है।
हकीकत में रिश्वतखोरी के लिए जितना ज़िम्मेदार नीचे के पुलिसकर्मी हैं उतने ही एसीपी और डीसीपी। नीचे के पुलिसकर्मी जनता को लूट-लूट कर एसीपी और डीसीपी को पहुंचाते हैं। मुंब्रा रिश्वतखोरीकाण्ड में कायदे से डीसीपी विनय राठौड़ का भी तबादला कर देना चाहिए था। चार साल से ठाणे में ही डटे हुए हैं। मुंब्रा, नारपोली और अंबरनाथ रिश्वतकांड क्या उनकी जानकारी में नहीं हो रहा था ?
Jail ke andar daal dena chiye aise rishwatkhoron ko