अकेला

महाराष्ट्र पुलिस में इन दिनों तबादलों की बहार आई है। राज्य सरकार, महाराष्ट्र राज्य मुख्यालय ऐसा दावा कर रहे हैं कि सब चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स के तहत हो रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। एबीआई ने ठाणे महसूल क्षेत्र के चुनावी तबादलों पर रीडिंग की तो मालूम पड़ा कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स के तहत नहीं, तबादले की प्रक्रिया में शामिल पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला, ठाणे पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त संजय जाधव और उपायुक्त रूपाली अंबुरे की गाइडलाइन्स के अनुसार तबादले हो रहे हैं, या हो गए हैं।

कॉमन प्रैक्टिस है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री अपने-अपने पसंदीदा आईपीएस-आईएएस अधिकारियों को अपने काम की जगह रखते हैं। डेली बेसिस पर ये अधिकारी तो उनका ख़ास काम करते ही हैं, चुनाव के वक्त विशेष काम आते हैं। उसी तरह पुलिस आयुक्त, संयुक्त आयुक्त यहां तक की उपायुक्त भी उसी अधिकारी को क्रीम [पसंदीदा] पोस्ट पर रखते हैं जो कमा-कमा कर उनको पहुंचाते रहे। तबादलों में विधानसभा क्षेत्र का होना, रिश्तेदारी, वफादारी और ऊपर तक पहुँच भी काम आती है।

चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स के अनुसार आचार संहिता लागू होने के पहले सरकार को तबादले की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। लोकसभा 2024 के चुनाव में महाराष्ट्र राज्य सरकार भी वही कर रही है। इसमें ज़रा लेकिन है। चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स [एबीआई के पास है] के अनुसार जिस अधिकारी को जिलाधिकारी [महसूल] क्षेत्र में सर्विस करते छः साल हो गए हैं उसे दूसरे महसूल [जिलाधिकारी] क्षेत्र में स्थानांतरित करना चाहिए। जैसे ठाणे जिलाधिकारी [महसूल क्षेत्र] में ठाणे, नवी मुंबई और मीरा रोड क्षेत्र आते हैं।

इन तबादलों में गड़बड़झाला इसकी जड़ में ही है। जैसे ठाणे महसूल क्षेत्र के तबादले की प्रक्रिया में शामिल पुलिस उपायुक्त [मुख्यालय] रूपाली अंबुरे को खुद ठाणे और नवी मुंबई में सर्विस करते छः साल हो गए हैं। फिर इनका तबादला क्यों नहीं हुआ। और कौन करेगा। रूपाली अंबुरे के पति अविनाश अंबुरे भी उपायुक्त हैं। ठाणे और मीरा रोड मिलाकर ठाणे महसूल क्षेत्र में अविनाश अंबुरे को भी छः वर्ष हो गए हैं। इसी तरह उपायुक्त विनय राठौड़ [4 वर्ष], उपायुक्त विवेक पानसरे [5 वर्ष] और उपायुक्त अमित काले [4.6 वर्ष] का भी तबादला होना चाहिए था।

रश्मि शुक्ला, संजय जाधव और रूपाली अंबुरे की टीम ने सीनियर इंस्पेक्टर के तबादले में बड़ी धांधली की है। निम्नलिखित सीनियर इंस्पेक्टर ने कार्यकारी पद पर तीन वर्ष ही पूरे किये हैं। प्रथम तो इनका ट्रांसफर होना ही नहीं चाहिए था और किया भी तो ठाणे महसूल क्षेत्र के अंतर्गत। इनमें से कुछ सीनियर इंस्पेक्टर ने उनकी मनचाही जगह पर पोस्टिंग पा ली। इनमें से बहुत से अधिकारियों पर करप्शन के भी आरोप हैं। ये सीनियर इंस्पेक्टर हैं – रवींद्र क्षीरसागर [5 वर्ष], कन्हैयालाल थोरात [5 वर्ष], शंकर इंदलकर [6 वर्ष], राजेंद्र पवार [5 वर्ष], अंकुश बांगर [5 वर्ष], अशोक कडलग [5 वर्ष], राजेश शिरसाट [5 वर्ष], नितिन गीते [6 वर्ष], मोहन खंदारे [5 वर्ष], अशोक होनमाने [5 वर्ष], उमेश गीते [4 वर्ष], दिलीप फुलपगारे [5 वर्ष], विजय वाघमारे [6 वर्ष], संजय गायकवाड़ [5 वर्ष], उत्तम सोनावणे [5 वर्ष], विद्या पाटिल [5 वर्ष], जीतेन्द्र कुंवर [6 वर्ष], माधुरी मोरे [5 वर्ष], नीलेश बडाख [5 वर्ष], विक्रम मोहिते [5 वर्ष], समाधान चव्हाण [5 वर्ष], श्रीनिवास देशमुख [5 वर्ष], लक्ष्मण कांबले [5 वर्ष], सुनील पवार [4 वर्ष], सुनील गवली [4 वर्ष], शरद झीने [5 वर्ष], प्रदीप पाटिल [4 वर्ष], पंकज जाधव [4 वर्ष], पोपट करड़कर [4 वर्ष], विक्रमसिंह कदम [4 वर्ष], अजीत गावित [4 वर्ष], संदीप सावंत [5 वर्ष], सुहास आव्हाड [4 वर्ष], संजय निम्बालकर [4 वर्ष], सुरेश मदने [4 वर्ष], शशिकांत रोकड़े [5 वर्ष], सर्जेराव कुम्भार [4 वर्ष]।

तबादले की टीम की नज़र एसीपी कवियित्री गावित, इंस्पेक्टर महेश तरडे, इंस्पेक्टर विकास घोड़के और इंस्पेक्टर जीतेन्द्र राठौड़ पर क्यों नहीं पड़ी। एसीपी कवियित्री गावित को ट्रैफिक और कोलसेवाड़ी पुलिस मिलाकर ठाणे महसूल क्षेत्र में 10 वर्ष हो गए हैं। इंस्पेक्टर महेश तरडे ने नवी मुंबई में छः साल, ठाणे में पांच साल और मीरा रोड में एक साल मिलाकर ठाणे महसूल क्षेत्र में कुल 12 साल सर्विस की है। वो भी एक्ज़क्यूटिव पोस्ट पर। फिलहाल वे एंटी करप्शन, ठाणे में कार्यरत हैं। इसी तरह विकास घोड़के 5 वर्ष और जीतेन्द्र राठौड़ ने भी 5 वर्ष पूरे किये हैं।

तबादले की टीम ने चुनाव आयोग के निर्देश का ठीक से पालन नहीं किया है। चुनाव आयोग का निर्देश है कि जो पुलिस अधिकारी विशेष एजेंसी मसलन एटीएस, एसआईडी, सीआईडी, एसीबी, पीसीआर और एचएसपी में चार वर्षों से कार्यरत हैं, उनको इस तबादले में शामिल नहीं किया जायेगा। और किया भी जाएगा तो महसूल क्षेत्र के अंतर्गत। लेकिन टीम ने इनमें से कुछ अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया और वो भी ठाणे महसूल क्षेत्र से बहुत दूर। चुनाव आयोग के आदेश की अनदेखी और खुद की मनमानी इसी तरह ठाणे के अलावा पुणे, पिम्परी चिंचवड़ और नागपुर में भी की गई है। लिहाजा यहां के तकरीबन 32 पुलिस अधिकारियों ने मैट का दरवाज़ा खटखटाया है।

मार्च 2021 में जब राज्य में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे और देवेंद्र फडणवीस विरोधी पक्ष नेता थे तब देवेंद्र फडणवीस ने 6.3 जीबी की एक पेन ड्राइव विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी थी। उस पेन ड्राइव में पुलिस अधिकारियों की मनचाही पोस्टिंग, निवास आवंटन और भ्रष्टाचार के सबूत थे। तब के गृह मंत्री अनिल देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे ने अपनी गिरफ्तारी के बाद माना था कि पुलिस अधिकारियों के तबादले में बड़े पैमाने पर लेन देन हुई है। रश्मि शुक्ला तब एसआईडी की चीफ थीं। रश्मि शुक्ला ने ही नेताओं, मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों के फ़ोन टेप कर सबूत देवेंद्र फडणवीस को दिए थे। आज रश्मि शुक्ला राज्य की पुलिस महानिदेशक हैं और देवेंद्र फडणवीस गृहमंत्री और उप मुख्यमंत्री। राज्य की पुलिस महानिदेशक होने की वजह से पुलिस अधिकारियों के तबादले की जिम्मेदारी रश्मि शुक्ला की है। रश्मि शुक्ला, अतिरिक्त आयुक्त संजय जाधव और उपायुक्त रूपाली अंबुरे ने देवेंद्र फडणवीस की उस 6.3 जीबी के पेन ड्राइव को जय श्रीराम कह मनमाने तरीके से तबादले किये हैं। बेतरतीब। चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स का बिल्कुल पालन नहीं किया है।

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