कोहिनूर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग

अकेला

एक आदमी अपने बेटे को पीट रहा था। पड़ोसी ने पूछा क्यों पीट रहे हो। आदमी ने बताया कल इसका 10वीं का रिजल्ट आ रहा है और मैं आज शहर से बाहर जा रहा हूँ। मुझे मालूम है यह फेल ही होगा और मैं इसे पीटने के लिए कल रहूँगा नहीं। इसलिए आज ही पीट ले रहा हूँ।” ये था जोक्स। लेकिन इसे सीरियस वे में लें तो उल्हासनगर शहरवासियों को अभी से चीटर बिल्डर अजीत भाटिया (Cheater Builder Ajit Bhatia), पार्टनर शंकर सेवलानी (Shankar Sevlani) और नगर रचनाकार प्रकाश मुले (Town Planner Prakash Mule at Ulhasnagar Municipal Corporation) को लानत भेजनी चाहिए। कानूनन संभव नहीं है, लेकिन एडवांस में एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए (F.I.R. should be registered in advance)। कारण जिस कोहिनूर कंस्ट्रक्शन (Kohinoor Construction) बिल्डिंग का निर्माण अजीत भाटिया ने किया है उसका फॉउंडेशन बेहद कमजोर है। बिल्डिंग तय समय सीमा से पहले ही गिर सकती है।

बिल्डिंग गिरते ही उल्हासनगरवासी मातम मनाने लगते हैं। दुःख जताने में एक्सपर्ट हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे-ऐसे कमेंट करते हैं, ऐसे-ऐसे दुःख प्रकट करते हैं कि जैसे बिल्डिंग हादसे में उनका कोई अपना मर गया हो। ऐसे शोकमग्न होने का स्वांग करते हैं जैसे कि दौड़कर कोई उनको गले लगा ले और सबसे ज़्यादा मनुष्यवादी, उदारवादी होने का सर्टिफिकेट दे दे। उल्हासनगर की हर गली में ऐसे नेता, दुःखी आत्मा वाले, समाजसेवक, लकीर के फ़कीर और पत्रकार मिल जाएंगे। नेता सिर्फ यू-ट्यूबर्स को बाईट देंगे। इसी मानसून में इनको ऐसा करने का दो बार अवसर मिला है। इन लोगों को आज नहीं दिख रहा है कि अजीत भाटिया ने कितनी कमजोर इमारत का निर्माण किया है। नहीं दिख रहा है तो एबीआई (ABI) बता रहा है –

वैसे अब ये बात स्पष्ट हो गई है कि अजीत भाटिया फर्जी दस्तावेज बनाने, फर्जी एफआईआर करने, महापालिका और पुलिस अधिकारियों को खरीदने में सबसे ज़्यादा माहिर है। इसी क्रम में अजीत भाटिया और शंकर सेवलानी ने कोहिनूर कंस्ट्रक्शन के नाम से सीटीएस नंबर-10125 से 10128, 10137 व 30343, बैरक नंबर-748, रूम नंबर-5, 6, 7, 8, सीट नंबर-46 व 64 पर बाबा बेफिक्री चौक के पास, उल्हासनगर-2 में वर्ष 2010 में बिल्डिंग का निर्माण शुरू किया। तब प्रकाश रोचलानी (Prakash Rochlani) और दिलीप रामरख्याणी (Dilip Ramrakhyani) ने शिकायत की कि बिल्डिंग का निर्माण फर्जी दस्तावेज के आधार पर हो रहा है। इंजीनियर कमलेश सुतार (Engineer Kamlesh Sutar) ने जांच की तो पाया कि टीएलआर-18910 के मुताबिक प्लान (डिमार्केशन/नक्शे) में गड़बड़ियां हैं। महापालिका ने प्लान रद्द कर दिया। अजीत भाटिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि नया प्लान लेकर अजीत भाटिया निर्माण कर सकता है। अजीत भाटिया ने रिवाइज्ड प्लान पास करवा लिया। तब ग्राउंड प्लस थ्री फ्लोर का प्लान पास हुआ था। और अजीत भाटिया ने निर्माण शुरू भी कर दिया।

फिर वर्ष 2014 में ईश्वरीबाई सेवलानी (Eshwari Bai Sevlani) ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में पिटीशन (नंबर- 10836/2010) कर बताया कि अजीत भाटिया अवैध निर्माण कर रहा है। उसके दस्तावेज़ फर्जी हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईश्वरीबाई सेवलानी की दलीलों से सहमत होकर वर्क स्टॉप का ऑर्डर दे दिया। तब से बिल्डिंग का निर्माण कार्य रुका रहा। वर्ष 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट के ऑर्डर को अजीत भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेन्ज किया और राहत माँगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी अजीत भाटिया को कोई राहत नहीं दी। इस बीच उल्हासनगर महापालिका में प्रकाश मुले नामक महान भ्रष्ट मनुष्य नगर रचनाकार बनकर अवतरित हुआ। प्रकाश मुले के भ्रष्टाचार और नए डीसी रूल्स का फायदा उठाते हुए अजीत भाटिया ने 30 जुलाई 2021 को सात मंजिली बिल्डिंग बनाने का नया प्लान (नंबर 8910/340) पास करवा लिया। ये भी कानूनन गलत था। इसी बिल्डिंग के खिलाफ दो एफआईआर, दो रिट पिटीशन, एसीबी की इन्क्वायरी और दर्जनों शिकायतें हैं। सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन पेंडिंग थी। इन सबको दरकिनार करते हुए प्रकाश मुले ने प्लान पास कर दिया। बाद में अजीत भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन विदड्रॉ किया। इसीलिए तो एबीआई लिखता है- इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर !

अब वर्ष 2022 में अजीत भाटिया ने उस अति विवादित जगह पर सात मंजिली इमारत बील्डिंग खड़ी कर दी है। शहर के प्रबुद्ध लोग और उस बिल्डिंग में फ़्लैट खरीदने वाले ध्यान दें कि सबसे पहले 9 जुलाई 2010 को बिल्डिंग का प्लान (नंबर 89/10/542) पास हुआ। वर्ष 2015 में तीन मंजिल ही बनकर तैयार हुई तभी बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। वर्ष 2015 से तीन मंजिली बिल्डिंग धूल-पानी खाती-पीती हुई खड़ी रही। अब वर्ष 2022 में उसी पुराने स्ट्रक्चर पर अजीत भाटिया ने चार मंजिल और चढ़ा दी। उल्हासनगर में बिल्डिंग के निर्माण में कैसी-कैसी सामग्री का प्रयोग होता है सबको मालूम है। जब गिरती है तो भरभरा कर, ताश के पत्ते की तरह गिरती है। इसी तरह कोहिनूर बिल्डिंग बड़े अल्प समय में धराशायी होगी और कइयों के मौत का कारण बनेगी। व्हाट्सप्प ग्रुप और फेसबुक पर कैसे-कैसे इमोशनल शब्द लिखने हैं अभी से सोच कर रख लीजिये। तब न अजीत भाटिया मिलेगा, न शंकर सेवलानी मिलेगा और न प्रकाश मुले। यह समाचार लिखने के बाद अजीत भाटिया सबको स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी का सर्टिफिकेट दिखायेगा कि बिल्डिंग कितनी मजबूत है।

84 वर्षीय ईश्वरीबाई सेवलानी ने 16 सितम्बर 2022 को सम्बंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर कोहिनूर बिल्डिंग के कमजोर होने से आगाह कर दिया है।

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