कुमार आयलानी

अकेला

अब तेरा क्या होगा रे अजीत कालिया सॉरी भाटिया ? एबीआई (ABI) लगातार एक्सपोज्ड कर रहा है कि अजीत भाटिया (Ajit Bhatia) फर्जी दस्तावेज़ बनाने, फर्जी एफआईआर करने, अवैध इमारत बनाने में उल्हासनगर का ‘कोहिनूर’ है। इसी क्रम में एबीआई (abinet.org) को ऐसे डॉक्युमेंट्स मिले हैं जिसमें उल्हासनगर के विधायक कुमार आयलानी (MLA, Ulhasnagar Kumar Ailani) ने भी अजीत भाटिया के जाली दस्तावेज़ बनाने के रैकेट (forged documents racket) के खिलाफ शिकायत की है। अब अजीत भाटिया के खिलाफ कभी भी चीटिंग, फोर्जरी सहित कई धाराओं के तहत एफआईआर हो सकती है।

अजीत भाटिया

अजीत भाटिया की इस कारगुजारी को उजागर किया समाजसेवक मोती दुसेजा उर्फ़ सोनू भाई (Moti Duseja alias Sonu Bhai) ने। सोनू भाई को मालूम पड़ा कि अजीत भाटिया ने पहिलाजराय कीकोमल, मोहनदास कटारिया, गिरधर मूलजानी, मूलचंद पहिलराजराय, मोहनदास मूलचंदानी, हीरालाल केसवानी, भागूमल हीरोमल, रेवलदास भीखचन्द, राजकीबाई रेवलदास, सुनील वलेचा, लीलावती लालवानी और मोहनदास वैरोमल के नौ भूखंडों के दस्तावेज़ फर्जी बनाये हैं। मसलन, ये व्यक्ति भूखंड के वास्तविक मालिक हैं लेकिन उनके पास मालिकाना हक़ के दस्तावेज़ नहीं हैं। सोनू भाई ने आरटीआई (RTI) के तहत समस्त दस्तावेज हासिल कर लिए। बात सच निकली। अजीत भाटिया ने इन्हें मालिकाना हक़ के जो भी डॉक्युमेंट्स बनाकर दिए, जाली निकले। सोनू भाई ने राज्य सरकार और सम्बंधित विभागीय अधिकारियों से शिकायत कर दी। तात्कालीन प्रशासक और उप विभागीय अधिकारी विजया जाधव (Administrator Vijaya Jadhav) ने जांच में पाया कि सारे डॉक्युमेंट्स (खासकर सनद जांच पत्र) फर्जी हैं। इस बाबत उन्होंने 25 अक्टूबर 2016 को सभी नौ भूखंड के सनद जांच पत्र की वैधता रद्द कर दी। इसी तरह वरिष्ठ लिपिक पीआर गायकवाड़ (Senior Clerk PR Gaikwad) ने भी बताया कि डॉक्युमेंट्स पर किये हुए हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। मतलब सभी डॉक्युमेंट्स जाली हैं। मजेदार बात है कि कुछ सनद जांच पत्र 31 दिसम्बर 2013 को बनाये गए हैं और सनद जांच पत्र के लिए अर्जी भी 31 दिसम्बर 2013 को ही दी हुई है। मतलब जिस दिन अर्जी दी उसी दिन पत्र भी बन गया। IT HAPPENS ONLY IN ULHASNAGAR.

इस घटना की जानकारी मिलने पर भारतीय जनता पार्टी के 141-उल्हासनगर विधानसभा के विधायक कुमार आयलानी ने 17 मार्च 2022 को राज्य सरकार के मुख्य सचिव, मनु कुमार श्रीवास्तव Chief Secretary Manu Kumar Shrivastav)  को पत्र लिखकर उपरोक्त नौ भूखंडों के फर्जी दस्तावेज बनानेवाले आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की। फिलहाल उपायुक्त (पुनर्वास-कोंकण) पंकज देवरे (Pankaj Devre) फाइल पर विराजमान हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि पंकज देवरे ने पैसा खा लिया है इसलिए कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। व्यस्त होंगे बेचारे। उनको बहुत काम होगा। इसलिए फाइल की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।  

अब अजीत भाटिया यह कह सकता है कि ये कैसे प्रू होगा कि डॉक्युमेंट्स उसने बनाये हैं। गलत आरोप है। तो ये कहावत है कि अपराधी कितना भी शातिर हो कोई न कोई सबूत छोड़ ही जाता है। प्रान्त अधिकारी कार्यालय में भूखंड मालिकों के नाम जो अर्जियां अजीत भाटिया ने दी हैं उन सब पर अपना मोबाइल नंबर (9850098200) लिख दिया है। और बहुत कुछ है। बाकी अगले अंक में। माननीय विधायक कुमार आयलानी की शिकायत पर जब अजीत भाटिया के खिलाफ एफआईआर (FIR against Ajit Bhatia) होगी तब सब सामने आएगा।

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