Bombay High Court

राकेश पाणिग्राही

साल 2019 में मराठा आरक्षण व आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए तय किए गए आरक्षण को लागू करने के चलते प्रभावित बच्चों को बॉम्बे हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद फीस के मामले में राहत मिली है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया है कि उसने आरक्षण से प्रभावित अलग-अलग वर्ग  के एमबीबीएस पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों की फीस मेडिकल शिक्षा महानिदेशालय के पास जमा कर दी है। जिसे विद्यार्थी महानिदेशलय के पास आवेदन कर प्राप्त कर सकते हैं। यदि विद्यार्थी दो सप्ताह के भीतर आवेदन करते हैं तो फीस की रकम की प्रतिपूर्ति दो महीने के भीतर कर दी जाएगी।

दरअसल साल 20219 में मराठा आरक्षण (एसईबीसी) व आर्थिक रूप से कमजोरम (ईडबल्यूएस) विद्यार्थियों को दिए गए आरक्षण को लागू करने के बाद आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई थी। जिससे सामान्य वर्ग के विद्यार्थी सहित अन्य वर्गों के विद्यार्थी प्रभावित हुए थे। इन प्रभावित बच्चों ने बाद में निजी मेडिकल कालेज (तेरणा मेडिकल, नई मुंबई)  में दाखिला लिया था। जिनकी फीस का भुगतान करने का आश्वासन सरकार ने दिया था। इस संबंध में सरकार की ओर से 20 सितंबर 2019 व 9 अक्टूबर 2020 को शासनादेश जारी किए गए थे। जिसे लागू नहीं किया जा रहा था। इससे विद्यार्थियों की फीस की प्रतिपूर्ति नहीं हो रही थी। जबकि महानिदेशालय की ओर से इस विषय पर मेडिकल शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र भी लिखा गया था। इसलिए 16 विद्यार्थियों की ओर से अधिवक्ता केविन गाला व आनंद कंदोई के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी।

याचिका में मुख्य रूप से सरकार की ओर से फीस (ट्यूशन व हॉस्टल) की प्रतिपूर्ति के विषय में 20 सितंबर व 9 अक्टूबर 2020 को जारी शासनादेश को लागू करने की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि सरकार की ओर से कई विद्यर्थियों की प्रथम वर्ष की फीस की प्रतिपूर्ति नहीं हुई। जबकि कई विद्यार्थी एमबीबीएस कोर्स के दूसरे साल में पहुंच गए हैं। इधर कॉलेज की ओर से फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है। भले ही 16  विद्यार्थियों ने ही इस मामले में याचिका दायर की है लेकिन प्रभावित विद्यार्थियों की संख्या 106 है।  इस विषय पर हाईकोर्ट की नागपुर व औरंगाबाद खंडपीठ में भी याचिकाएं दायर हुई थीं। जहां कोर्ट ने कॉलेज की फीस को लेकर विद्यार्थियों पर कड़ी कार्रवाई न करने को कहा है।

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकारी  वकील को जवाब देने को कहा था। जिसके तहत सरकारी वकील पीजी गवहाने ने न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य सरकार फीस की प्रतिपूर्ति के लिए सहमत है। इसके लिए रकम मेडिकल शिक्षा महानिदेशालय (डीएमईआर) के पास जमा कर दी गई है। विद्यार्थी फीस की प्रतिपूर्ति के लिए डीएमईआर के पास आवेदन कर सकते हैं। इस दौरान तेरणा मेडिकल कालेज की ओर से बताया गया कि कई विद्यार्थियों के विकास शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है। इस पर अधिवक्ता गाला ने कहा कि यदि किसी विद्यार्थी का एमबीबीएस कोर्स के पहले व दूसरे साल का यह शुल्क बकाया होगा तो वह जमा कर दिया जाएगा। जबकि मौजूदा वर्ष का विकास शुल्क आठ सप्ताह में भर दिया जाएगा।

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