नीलम बोडारे

अकेला 

हिन्दुस्तान (या भारत) के नए इतिहास की उपलब्धियों में चंद्रयान-3 और सूर्ययान (आदित्य एल-1) तक का उल्लेख गर्व से किया जाएगा। परन्तु उल्हासनगर के इतिहास में वही घिसा-पिटा ज़िक्र होगा- देश का सबसे बदनाम शहर। देश की सबसे बेईमान महानगरपालिका। शहरवासियों का दुर्भाग्य कि सबसे भ्रष्ट, बेईमान, धूर्त, मक्कार और न जाने क्या-क्या विशेषण वाले अधिकारी इसी महानगरपालिका में पाए जाते हैं। अथवा यहां आने के बाद बन जाते हैं। वैसे ‘इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर’ की 1,00,000 कहानियां हैं परन्तु यहां महिला क्लर्क नीलम बोडारे (Clerk Neelam Bodare) की भर्ती/पदोन्नति घोटाले का ज़िक्र हो रहा है। इस घोटाले में उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) प्रशासन ने राज्य सरकार के अध्यादेश को खड्ढे में डाला ही तुर्रा ये कि बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) को भी नहीं बक्शा। बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीशों- रंजीत मोरे और भारती डांगरे- (Justices Ranjeet More and Bharti Dangre) से भी झूठ बोल दिया। 

राजेंद्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’

शिवसेना शहर प्रमुख और वरिष्ठ नगरसेवक राजेन्द्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’ (Shivsena City Chief and Senior Most Corporator Rajendrasingh Bhullar ‘Maharaj’ better known as ‘Bhullar Maharaj’) वर्षों से शिकायत करते आ रहे हैं। सबूत भी दे रहे हैं कि नीलम बोडारे की भर्ती अवैध है। पदोन्नति अवैध है। शैक्षणिक डिग्रियां फर्जी हैं। अब महानगरपालिका के ही तात्कालिक विशेष कार्यकारी उपायुक्त युवराज भदाने (Then special acting deputy commissioner Yuvraj Bhadane) की कहानी सुन लीजिये। जिस तारीख को नीलम बोडारे की पदोन्नति का प्रस्ताव पास हुआ उस तारीख को युवराज भदाने छुट्टी पर थे। परन्तु पदोन्नति प्रस्ताव की सूची में उनका भी हस्ताक्षर है। इसी तरह दूसरे सदस्य कर निरीक्षक नितेश रंगारी (Tax Inspector Nitesh Rangari) और तीसरे सदस्य प्रशासनिक अधिकारी महेंद्र भोये (Administrative officer Mahendra Bhoye) के भी हस्ताक्षर किसी ने कर दिए थे। यहां तक कि आयुक्त राजा दयानिधि (Commissioner Raja Dayanidhi) का भी हस्ताक्षर फर्जी है। 

चोर बना चौकीदार 

इस हरकत से खफा युवराज भदाने ने नीलम बोडारे की अवैध पदोन्नति को रद्द करने, मामले की जांच करने और दोषी पर कार्रवाई करने की मांग लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में रिट पिटीशन (क्रमांक-6610/2019) फाइल कर दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आयुक्त सुधाकर देशमुख (Commissioner Sudhakar Deshmukh) को छः सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट सब्मिट करने का आदेश दिया। सुधाकर देशमुख ने खुद जांच न करते हुए प्रशासनिक अधिकारी भाऊराव मोहिते (Administrative Officer Bhaurav Mohite) को जांच करने का आदेश दिया। नीलम बोडारे की पदोन्नति मामले में भाऊराव मोहिते ही सबसे बड़ा कल्प्रिट है। यानि वही चोर है। सुधाकर देशमुख ने इसी चोर को चौकीदार बना दिया। जांच अधिकारी बना दिया। भाऊराव मोहिते ने वही किया जो उसको करना था। भाऊराव मोहिते ने लीपापोती करते हुए कोर्ट में जांच रिपोर्ट सब्मिट कर दी। 

ठीक से जांच न करने और कोर्ट को गुमराह करने का मानकर युवराज भदाने ने पुनः बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायालय की अवमानना की पिटीशन (क्रमांक-151/2020) फाइल कर दी। इस बार भाऊराव मोहिते ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि उसने युवराज भदाने के सिग्नेचर को हैंडराइटिंग एक्सपर्ट, पुणे को जांच के लिए भेजा है। एक्सपर्ट की रिपोर्ट आने का इंतज़ार है। इस बिना पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने युवराज भदाने की अवमानना याचिका डिस्पोज्ड ऑफ कर दी।  

इस मामले में भाऊराव मोहिते के ‘कांड’ का खुलासा 7 फरवरी 2023 को हुआ है। युवराज भदाने ने उल्हासनगर महापालिका प्रशासन से आरटीआई के माध्यम से जानकारी माँगी कि उन्हें हैंडराइटिंग एक्सपर्ट, पुणे की रिपोर्ट दी जाए। शिक्षण विभाग के प्रशासनिक अधिकारी अशोक मोरे ने 7 फरवरी 2023 को जवाब दिया कि हैंडराइटिंग एक्सपर्ट, पुणे को युवराज भदाने के हस्ताक्षर की जांच सम्बंधित कोई रिक्वेस्ट भेजी ही नहीं गई थी। यहां तक कि कम्प्यूटर अथवा और भी रिकॉर्ड चेक करने पर यह भी मालूम पड़ा की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को कभी कोई रिमाइंडर भी नहीं भेजा गया। आरटीआई की प्रति एबीआई (abinet.org) के पास है।

राज्य सरकार के अध्यादेश को ठेंगा 

महाराष्ट्र राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2013 को एक अध्यादेश पारित कर शिक्षण मंडल को शिक्षा/शिक्षण विभाग में रूपांतरित कर दिया। मसलन शिक्षण मंडल का नाम शिक्षा/शिक्षण विभाग हो गया और यह महापालिका और नगर निगम के अधीन हो गया। शिक्षण मंडल के अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, कार्यालयीन कर्मचारी, निधि, बैंक खाते और आर्थिक व्यवहार सब महापालिका के मातहत संचालित हो गए। शिक्षण मंडल अपने आप ख़त्म हो गया। इसी क्रम में कर्मचारियों की नियुक्ति के समय उनका ओहदा/पद श्रेणी अनुसार ही रहना था। नीलम बोडारे के मामले में उल्हासनगर महापालिका ने राज्य सरकार के अध्यादेश को दरकिनार कर उन्हें उप-लेखाधिकारी (वर्ग-3) पद पर पदोन्नत कर दिया, जबकि महापालिका में उप-लेखाधिकारी (वर्ग-3) पद ही नहीं था। हक़ीकत में महापालिका की आस्थापना में लेखाधिकारी वर्ग-2 पद ही है। और तो और नीलम बोडारे की जिस लेखा लिपिक पद पर महापालिका में भर्ती हुई है महापालिका के आस्थापना में ऐसा कोई पद ही नहीं है। मतलब उनकी भर्ती ही अवैध है। अवैध पद पर भर्ती हुई है। 

नीलम बोडारे के मामले में 28 मई 2019 को एक फर्जी प्रस्ताव पास कर उन्हें पदोन्नत कर उप-लेखाधिकारी/सहायक आयुक्त बना दिया गया और मात्र दो दिन बाद यानि 30 मई 2019 को इस प्रस्ताव पर अमल भी कर दिया गया। इस फर्जी पदोन्नति कांड या घोटाले में भाऊराव मोहिते की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

भुल्लर महाराज ने 23 अगस्त 2023 को पुनः शिकायत कर नीलम बोडारे की इस अवैध पदोन्नति को रद्द करने और भाऊराव मोहिते पर भी कार्रवाई की मांग की है।

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