अकेला
नकली उत्पादों के लिए विश्वपटल पर विख्यात उल्हासनगर शहर के महापालिका प्रशासन, तहसीलदार प्रशासन, पुलिस प्रशासन, क्रिमिनल प्रशासन, नेतागीरी, नगरसेवकगिरी, समाजसेवकगिरी, पत्रकारगिरी, आरटीआईएक्टिविस्टगिरी पर डिस्कवरी और जिओग्राफिक चैनलवालों को डॉक्यूमेंट्री बनानी चाहिए। यहां ऐसे-ऐसे लोग मिलेंगे, उनकी ऐसी-ऐसी कहानियां मिलेंगी कि उन चैनलों की टीआरपी बेतहाशा बढ़ जाएगी। अब उल्हासनगर महापालिका के एक स्टेनोग्राफर गणेश शिम्पी को ले लीजिये। प्रथम, इस बन्दे की नियुक्ति ही अवैध यानि लघु लेखक, मुनीम (स्टेनोग्राफर) पद पर हुई है। द्वितीय महापालिका प्रशासन ने इसे अवैध नोडल अधिकारी बना दिया है। तृतीय यह इकलौता इंसान है जिसके खिलाफ 4 एफआइआर, 5 एनसी, 20 कम्प्लेंट्स हैं। एक समाजसेवक 241 दिन से उसके खिलाफ अनशन कर रहा है। एसीबी ने एकबार उसे गिरफ्तार भी किया था परन्तु उसकी सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। खैर, राज्य सरकार, महापालिका और पुलिस प्रशासन तो होते ही हैं जन्मांध।
गणेश पुराण के तृतीय अध्याय की शुरुआत में बता दें कि 25 दिसम्बर 2023 को गणेश शिम्पी ने अपना जन्मदिन मनाया। भ्रष्ट, भ्रष्टाचार को पसंद करनेवालों और अवैध निर्माण करनेवालों ने सोशल मीडिया पर उसको खूब बधाइयां दीं। गणेश शिम्पी ने अपनी जन्मतिथि में भी घोटाला किया हुआ है। महापालिका प्रशासन के दस्तावेज़ में उसकी जन्मतिथि 30 जून 1978 दर्ज है। मतलब इसी 30 जून 1978 की तिथि पर उसने नौकरी हासिल की है, जबकि उसकी असली जन्मतिथि 25 दिसम्बर 1977 है। इसी 25 दिसम्बर 1977 की तिथि को वह सेलिब्रेट करता है।
महापालिका में नौकरी हासिल करने के बाद से ही उसके खिलाफ शिकायतें होने लगी थीं। स्वर्गीय पत्रकार अशोक बोधा, स्वर्गीय पत्रकार श्रीचंद आहूजा, स्वर्गीय पत्रकार गोप पेसवानी, स्वर्गीय पत्रकार शमीम मोहम्मद, स्वर्गीय पत्रकार और नगरसेवक मनोहर जेसवानी, मागासवर्गीय महापालिका कर्मचारी यूनियन, उल्हासनगर सिटिज़न फोरम चलानेवाले सत्यजीत बर्मन, आरटीआई एक्टिविस्ट कमलेश खतुरानी, भाजपा कार्यकर्ता राजेश नागदेव ने उसके खिलाफ शिकायतें ही शिकायतें की हैं। लगभग चार वर्ष पूर्व कमलेश खतुरानी और राजेश नागदेव प्रभाग समिति-4 कार्यालय के सामने गणेश शिम्पी की भ्रष्टता के खिलाफ अनशन पर भी बैठे। परन्तु गणेश शिम्पी ने मसल पॉवर का प्रयोग कर उन्हें वहां से भगा दिया।
फिर कमलेश खतुरानी और राजेश नागदेव मुंबई के आज़ाद मैदान में अनशन पर बैठे। लगभग 40 दिन बाद राकांपा नेता और तात्कालिक उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार ने महापालिका आयुक्त राजा दयानिधि को गणेश शिम्पी को बर्खाश्त करने और विभागीय जांच करने का आदेश दिया। राजा दयानिधि ने इतना किया कि 22 जनवरी 2021 को गणेश शिम्पी से नोडल अधिकारी और प्रभाग अधिकारी का चार्ज निकाल लिया। उसे कम महत्वपूर्ण विभाग जलापूर्ति और पर्यावरण विभाग में स्थानांतरित कर दिया। उसकी जगह अजीत गोवारी को प्रभारी अधिकारी बना दिया।
गणेश शिम्पी पर इस एक्शन से उल्हासनगर का एक राकांपा नेता और एक कांग्रेसी नेता एक्टिव हो गए। उन्होंने उसे बचाने का कॉन्ट्रैक्ट ले लिया। गणेश शिम्पी को लेकर वे अजीत पवार के पास गए। अजीत पवार ने फिर गणेश शिम्पी पर कार्रवाई का फ़ॉलोअप करना छोड़ दिया। इधर गणेश शिम्पी ने आयुक्त राजा दयानिधि, अतिरिक्त आयुक्त करुणा जुईकर और उपायुक्त (मुख्यालय) मदन सोंडे को सेट कर लिया। गणेश शिम्पी ने इनसे क्या लेनदेन की नहीं मालूम परन्तु इन्होंने कोरोना काल में एक स्टेनोग्राफर (गणेश शिम्पी) को एक बड़ी जिम्मेदारी दे दी और उसकी आड़ में नोडल अधिकारी का पद वापस दे दिया। बता दें कि करुणा जुईकर ने ये महत्वपूर्ण फैसले उस वक्त लिए जब उनके पास मात्र तीन दिन के लिए प्रशासकीय कार्य देखने का आयुक्त का चार्ज था। महिला होते हुए भी वे एक अच्छे दर्जे की भ्रष्ट अधिकारी थीं।
लॉ एंड ऑर्डर यानि कानून व व्यवस्था किस चिड़िया का नाम है उल्हासनगर के लोगों को नहीं मालूम। हमेशा से पुलिस का शहर में कोई अस्तित्व ही नहीं रहा है। गणेश शिम्पी ने शहाड क्षेत्र से गुंडे आयात किये और कमलेश खतुरानी पर हमला करवा दिया। विट्ठलवाड़ी पुलिस ने वही किया जो उल्हासनगर की पुलिस करती है। मसलन कमलेश खतुरानी की एफआईआर तो दर्ज की लेकिन गणेश शिम्पी को आरोपी नहीं बनाया। उल्हासनगर की गली-गली में मांडवली बादशाह (दलाल भी कह सकते हैं) पाए जाते हैं। राजनीति, पुलिस और महापालिका में इस किस्म की प्रजाति बहुतायत में पाई जाती है। क्रिमिनल बैकग्राऊंड, अवैध निर्माण करने वाले एक शिवसैनिक ने कमलेश खतुरानी और गणेश शिम्पी की मांडवली करवा दी। पांच लाख रुपये में।
4 एफआइआर, 5 एनसी और 20 कम्प्लेंट्स पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय तक ने गणेश शिम्पी के खिलाफ जांच और कार्रवाई के आदेश दिए हैं। वर्ष 2013 में एसीबी में गिरफ्तार होने के बाद मंत्रालय उप-सचिव कैलाश बोदड़े ने विभागीय जांच की थी और गणेश शिम्पी को महाराष्ट्र नागरिक सेवा वर्तणूक अधिनियम 1979 की धारा-3 के भंग का दोषी पाया था और धारा-5 के तहत 7 अगस्त 2015 को उस पर कार्रवाई की रिपोर्ट दी थी। कार्रवाई रिपोर्ट की प्रति एबीआई (abinet.org) के पास है। इस आरोप के तहत गणेश शिम्पी को बर्खास्त करना चाहिए था। लेकिन तत्कालीन आयुक्त मनोहर हिरे ने 31 दिसम्बर 2015 को उसको वेतन वृद्धि न करने जैसी मामूली सजा दी। यह सजा भी हमेशा हमेशा के लिए दी थी। इस सजा में भी 90 दिनों के अंदर अपील का प्रावधान है। साथ ही स्थायी समिति और महासभा में प्रस्ताव पास कर ही वेतन वृद्धि न करने की सजा पर रोक लगाई जा सकती है। गणेश शिम्पी ने 90 दिनों के अंदर कोई अपील नहीं की और तब के आयुक्त सुधाकर देशमुख एवं उपायुक्त (मुख्यालय) संतोष देहेरकर ने अपने रिस्क पर गणेश शिम्पी की सजा खत्म कर दी। और वेतनवृद्धि फिर बहाल कर दी। ये वही सुधाकर देशमुख हैं जिनके तबादले के बाद भी गणेश शिम्पी ने उन्हें पनवेल जाकर लेटेस्ट आई-फोन और लेटेस्ट आई-पैड रिश्वत में दी थी। संतोष देहेरकर को वह 2 लाख रुपये महीना हफ्ता देता था, ऐसा महापालिका के एक अधिकारी ने एबीआई को बताया।
कमलेश खतुरानी पर हमले के परिणाम से उत्साहित गणेश शिम्पी ने भाजपा कार्यकर्ता और समाजसेवक राजेश नागदेव पर भी हमला करवा दिया। इस बार तो विट्ठलवाड़ी पुलिस ने गणेश शिम्पी के खिलाफ राजेश नागदेव की एफआइआर ही दर्ज नहीं की। उलट गणेश शिम्पी ने राजेश नागदेव के खिलाफ धारा 353 के तहत एफआइआर दर्ज करवा दी। विट्ठलवाड़ी पुलिस ने एफआइआर दर्ज भी कर ली। राजेश नागदेव ने गणेश शिम्पी के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की है। भविष्य में गणेश शिम्पी के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर एमइसीआर (एफआइआर) दर्ज होगी। वर्तमान में राजेश नागदेव पिछले 241 दिनों से मुंबई के आज़ाद मैदान में गणेश शिम्पी पर कार्रवाई की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं।
उल्हासनगर सिटिज़न फोरम चलाने वाले सत्यजीत बर्मन ने भी वर्ष 2016-17 में गणेश शिम्पी के खिलाफ शिकायतें की थीं। एफएम रेडियो ने तब सत्यजीत बर्मन का इंटरव्यू प्रसारित किया था। इससे गणेश शिम्पी पगला गया था। एक दिन गणेश शिम्पी ने फोन कर सत्यजीत बर्मन को उल्हासनगर-5, गायकवाड़पाड़ा में अवैध साइट पर बुलाया। वहां सबके सामने गणेश शिम्पी ने सत्यजीत बर्मन पर हमला करवा दिया। सत्यजीत बर्मन ने हिललाइन पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज करवाई। हिललाइन पुलिस ने भी गणेश शिम्पी को आरोपी नहीं बनाया। गणेश शिम्पी के कलेक्टर श्याम को मुख्य आरोपी बनाया। बाद में यह एफआइआर अम्बरनाथ के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दी गई।
महापालिका के पूर्व कर्मचारी प्रकाश केसवानी और प्रकाश लुंड ने भी गणेश शिम्पी के खिलाफ शिकायतें की हैं। शिवसेना शहर प्रमुख और वरिष्ठ नगरसेवक राजेंद्रसिंह भुल्लर (महाराज) ने गणेश शिम्पी के खिलाफ शिकायतें तो की हैं रिमाइन्डर भी भेजे हैं।
वर्तमान में भाजपा विधायक और शहर के बड़े बिजनेसमैन कुमार आयलानी ने भी 11 जून 2022 को गणेश शिम्पी के खिलाफ महापालिका आयुक्त, मुख्यमंत्री, नगरविकास मंत्री, नगरविकास सचिव और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधीक्षक से शिकायतें की हैं। गणेश शिम्पी कितना भ्रष्ट है और शहर में कितनी लूटपाट मचा कर रखा है, कुमार आयलानी ने इसका ज़िक्र शिकायत पत्र में किया है। शिकायत पत्र में कुमार आयलानी ने धमकी भी दी है कि वे गणेश शिम्पी के भ्रष्टाचार को विधानसभा (एलएक्यू) में उठाएंगे और उसे सर्विस से बर्खास्त करवाएंगे। फिर वही हुआ, जो उल्हासनगर में होता आया है। बताते हैं कि गणेश शिम्पी ने ऑफर दिया कि वह अपनी हराम की कमाई से कुमार आयलानी को प्रति माह 5 लाख रुपये देगा। उसने एक स्कीम भी दी। कुमार आयलानी प्रति माह 5 लाख रुपये लें अथवा एकमुश्त 50 लाख रुपये लें। प्रति माह 5 लाख रुपये के हिसाब से 12 महीने का 60 लाख रुपये होता है। एकमुश्त 50 लाख रुपये लेने पर 10 लाख रुपये का डिस्काउंट। कुमार आयलानी ने 5 लाख रुपये महीने अथवा 50 लाख रुपये एकमुश्त की स्कीम ली की नहीं, यह नहीं मालूम। परन्तु उन्होंने शिम्पी के भ्रष्टाचार की कहानी विधानसभा में नहीं सुनाई और न तो शिकायत को फॉलो ही किया। जून 2022 से अबतक विधानसभा के 5 सत्र हो चुके हैं। क्रमशः…