राजेन्द्र कोते

अकेला 

ABI IMPACT: अम्बरनाथ (पश्चिम) स्थित जिया’स अस्पताल (Jiya’s Hospital) के खिलाफ आखिरकार अम्बरनाथ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इस अस्पताल में एक महिला पीठ दर्द के इलाज के लिए गई थी जहां लिफ्ट में दबकर उसकी मौत हो गई। अम्बरनाथ पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेंद्र कोते (Rajendra Kote, Senior Inspector of Ambernath police station) अस्पताल की मालकिन और संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मूड में नहीं थे। 21 दिन बाद उन्हें एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। (Finally, Ambernath police registered an FIR against Jiya’s Hospital after 21 days of incident). 

अम्बरनाथ पुलिस ने 29 नवम्बर 2022 को डॉ. चेतना परेश शाह (Dr Chetna Paresh Shah), कुमार विशाल वर्मा (Kumar Vishal Verma), हरमिन महेंद्र काले (Harmin Mahendra Kale) और रामदास दामू राऊत (Ramdas Damu Raut) के खिलाफ भादंसं की धारा 304 (ए) (Causing death by negligence) के तहत एफआईआर (नंबर-0608) दर्ज की है। एफआईआर की कॉपी एबीआई (ABI) के पास है। डॉ. चेतना शाह अस्पताल की मालकिन है। कुमार विशाल वर्मा अस्पताल का संचालक है। हरमिन काले लिफ्ट इंस्टाल व दुरुस्ती तथा रामदास राऊत लिफ्ट तकनीशियन है। 

ज्योति यलप्पा आसंगी

सिद्धिविनायक नगर, अम्बरनाथ (पूर्व) में रहनेवाली ज्योति यलप्पा आसंगी (56) (Jyoti Yallappa Asangi) महाराष्ट्र राज्य विद्युत महामण्डल (M.S.E.B.) में बतौर क्लर्क काम करती थीं। वह जिया’स अस्पताल में पीठ दर्द के इलाज़ के लिए फिजिओथेरेपी कराने जाती थीं। 8 नवम्बर 2022 को जिया’स अस्पताल में उनकी मौत हो गई। अस्पताल कर्मचारियों ने आनन-फानन में उन्हें उल्हासनगर के मैक्सीलाइफ अस्पताल शिफ्ट कर दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर में चोट लगने बताई गई थी। तब से ज्योति का बेटा सचिन आसंगी अम्बरनाथ पुलिस स्टेशन अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जाता था। वरिष्ठ निरीक्षक राजेंद्र कोते ने मूड बना लिया था कि वे एफआईआर नहीं दर्ज करेंगे। उनके पास रोज़ एक नया-नया बहाना रेडी रहता था। बाद में राजेंद्र कोते बदतमीजी और गाली-गलौज़ पर उतर आये। एबीआई संपादक ‘अकेला’ (ABI Editor- Akela) को भी उन्होंने गाली दी। सचिन आसंगी को चुनौती भी दी कि तुम पुलिस आयुक्त जय जीत सिंह (Commissioner of Police Jai Jeet Singh), उपायुक्त सुधाकर पाठारे (Sudhakar Pathare, Deputy Commissioner of Police) और सहायक आयुक्त जे. डी सातव (J.D. Satav, Assistant Commissioner of Police) के पास भी जाओगे तब भी वह एफआईआर दर्ज़ नहीं करेंगे। कोई उनकी ‘….ट’ भी नहीं उखाड़ पायेगा। उनका जब मूड होगा तब एफआईआर दर्ज करेंगे। राजेंद्र कोते अस्पताल प्रबंधन को सबूत मिटाने का पूरा मौक़ा दे रहे थे।  

उपनिरीक्षक दिलीप भंडे (Sub Inspector Dilip Bhande) तो राजेंद्र काते (Rajendra Kate) से चार कदम आगे निकला। उसने सचिन आसंगी (Sachin Asangi) को बताया कि एफआईआर दर्ज करने में छः महीने तो लगते ही हैं। तुम्हारे केस में भी छः महीने लगेंगे। दिलीप भंडे ने कानून की कौन सी किताब पढ़ी थी, नहीं मालूम। 

राजेंद्र कोते और दिलीप भंडे की इस हरकत से बेइज़्ज़त हुआ महसूस कर रहे सचिन आसंगी ने पुलिस आयुक्त से इसकी शिकायत कर दी। राजेंद्र कोते और दिलीप भंडे को निलंबित करने और विभागीय जाँच करने की मांग कर दी। एबीआई ने 29 नवम्बर 2022 को ही अम्बरनाथ के जिया’स अस्पताल में महिला की हत्या मामले में सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र कोते के निलंबन की मांग, अभी तक दर्ज नहीं की एफआईआर, राजेंद्र कोते कहते हैं एसीपी, डीसीपी, सीपी और एबीआई रिपोर्टर अकेला उनकी ‘……ट’ भी नहीं उखाड़ सकते शीर्षक से खबर प्रकाशित कर दी। सोशल मीडिया पर यह खबर खूब वायरल हुई। तब 21 दिन बाद यानि 29 नवम्बर 2022 की रात 11.57 बजे राजेंद्र काते ने सचिन आसंगी की एफआईआर दर्ज की। (Sachin Asangi demanded suspension and departmental enquiry against Rajendra Kote and Dilip Bhande in a complaint letter written to Commissioner of Police Jai Jeet Singh). जिया’स अस्पताल के पास लिफ्ट का लाइसेंस भी नहीं है।

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