राजेन्द्र कोते

अकेला 

अम्बरनाथ पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक राजेंद्र कोते (Rajendra Kote, Senior Inspector of Ambernath police station) की अकड़ और बड़बोलापन अब उनको ले डूबेगी। राजेंद्र कोते का कहना है पुलिस कमिश्नर जय जीत सिंह (Commissioner of Police Jai Jeet Singh), उपायुक्त सुधाकर पाठारे (Sudhakar Pathare, Deputy Commissioner of Police, सहायक आयुक्त जे. डी. सातव (J.D. Satav, Assistant Commissioner of Police) और एबीआई रिपोर्टर अकेला (Akela, the ABI reporter) उनकी ‘…ट’ भी नहीं उखाड़ सकते। उनकी जब मर्जी होगी तो एफआईआर दर्ज करेंगे। अब मृत महिला के बेटे ने राजेंद्र कोते के खिलाफ विभागीय जांच (Departmental Enquiry), उन्हें निलंबित करने और मामले की सीआईडी (C.I.D.) जांच कराने की मांग करते हुए शिकायत की है।

बता दें कि ज्योति यलप्पा आसंगी (Jyoti Yalappa Asangi) (54) नामक महिला अम्बरनाथ (पश्चिम) स्थित जिया’स हॉस्पिटल (Jiya’s Hospital) में पीठ दर्द का इलाज कराने गई थी। 8 नवम्बर 2022 को उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर में घाव लगना बताया गया है। ज्योति के पुत्र सचिन आसंगी (Sachin Asangi) जिया’स अस्पताल के खिलाफ अम्बरनाथ पुलिस स्टेशन एफआईआर करने गए। वहां उनकी मुलाकात राजेंद्र कोते (Rajendra Kote) से हो गई। राजेंद्र कोते ने घड़ियाली आंसू बहाते हुए सचिन आसंगी से कहा कि तुम्हारी माँ मरी है। तुम सब बहुत दुःखी होंगे। जाओ पहले माँ का अंतिम संस्कार करो। तब आना एफआईआर दर्ज करेंगे। अंतिम संस्कार के बाद सचिन आसंगी राजेंद्र कोते से मिले। तब राजेंद्र कोते ने अपना असली चेहरा दिखाया दिया। जनमानस में पुलिस की जो छवि है। राजेंद्र कोते सचिन आसंगी पर ही भड़क गए। बोले हमारा स्टाफ तुमको बार-बार फोन करता रहा तुम एफआईआर करने आये ही नहीं। 

राजेंद्र कोते के इस दुर्व्यवहार को समझ 21 नवम्बर 2022 को सचिन आसंगी ने अम्बरनाथ पुलिस स्टेशन में लिखित आवेदन दिया। जिया’स और उल्हासनगर के मैक्सी लाइफ अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करने की मांग की। एबीआई ने 23 नवम्बर 2022 को ‘अम्बरनाथ के जिया’स हॉस्पिटल में महिला मरीज की हत्या, साजिश में उल्हासनगर का मैक्सीलाइफ हॉस्पिटल भी शामिल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर दी थी। इस पर राजेंद्र कोते को जबरदस्त मिर्ची लग गई।

ज्योति आसंगी

सचिन आसंगी अपने भाई नितिन आसंगी (Nitin Asangi) के साथ रोज़ पुलिस स्टेशन जाते थे। घंटों बैठाये रखने के बाद राजेंद्र कोते उनसे मिलते थे। एफआईआर न लेने का उनके पास कोई न कोई बहाना तैयार रहता था। शनिवार को सचिन आसंगी और नितिन आसंगी फिर राजेंद्र कोते से मिले। एबीआई की न्यूज़ से तिलमिलाए बैठे राजेंद्र कोते सचिन आसंगी पर भड़क गए। राजेंद्र कोते ने कहा वो एबीआई (ABI) वाला अकेला (Akela) मेरी ‘….ट’ नहीं उखाड़ पायेगा। तुमको जहां जाना है जाओ। आयुक्त जयजीत सिंह, उपायुक्त सुधाकर पठारे और सहायक आयुक्त जे. डी. सातव भी मेरा कुछ नहीं उखाड़ पाएंगे। जब मेरी मर्जी होगी तो एफआईआर दर्ज करूंगा। नहीं तो नहीं करूंगा। दर्ज भी करूंगा तो हॉस्पिटल के खिलाफ नहीं। हॉस्पिटल प्रशासन या मालकिन चेतना शाह के खिलाफ नहीं। लिफ्ट मैकेनिक के खिलाफ। तुम्हारी माँ लिफ्ट के पास मरी थी। उस दिन लिफ्ट मेंटेनेन्स का काम चल रहा था।

राजेंद्र कोते के बाद सचिन आसंगी ने उप निरीक्षक दिलीप भांडे (Dilip Bhande, Sub Inspector) को झेला। दिलीप भांडे ने बताया कि इतनी जल्दी एफआईआर दर्ज नहीं होती। कम से कम छः महीने लगते हैं। तुम्हारी भी एफआईआर दर्ज करने में छः महीने लगेंगे।

सचिन आसंगी ने 28 नवम्बर 2022 को पुलिस आयुक्त जयजीत सिंह और सहायक आयुक्त जे. डी. सातव से राजेंद्र कोते और दिलीप भांडे की शिकायत कर दी। राजेंद्र कोते अपने वरिष्ठ अधिकारियों और पत्रकार को अपशब्द कहते हैं। वे जिया’स अस्पताल की मालकिन चेतना शाह को खुलेआम बचा रहे हैं। निर्दोष लिफ्ट मैकेनिक को फंसाना चाहते हैं। इसलिए राजेंद्र कोते के खिलाफ विभागीय जांच करने और उन्हें निलंबित करने की मांग की है। सचिन का कहना है कि उनका अम्बरनाथ पुलिस स्टेशन पर से विश्वास उठ गया है। इसलिए उनकी माँ की मौत के मामले की जांच सीआईडी से कराएं। 

शिकायत में सचिन आसंगी ने जिया’स और उल्हासनगर के मैक्सी लाइफ अस्पताल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उप निरीक्षक दिलीप भांडे (PSI Dilip Bhande) के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है। दिलीप भांडे कानून का बहुत बड़ा जानकार है। कहता है एफआईआर दर्ज़ करने में छः महीने लगते हैं।     

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