डॉ. अमर मिश्रा

अकेला 

किसी को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले पर निबंध (आर्टिकल) लिखने को कहिये तो सबसे पहले वह लिखेगा कि अमृत फल आंवला (13020 हेक्टेयर में खेती होती है) के लिए फेमस है प्रतापगढ़ जिला और फिर कुंडा के बाहुबली विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया पर आकर अटक जायेगा। लोगों को कम ही मालूम है कि जनपद के 2266 गांवों में सच में एक राजघराना है और उसके राजा हैं अनिल राजा। अनिल राजा 15 फरवरी को मुंबई में प्रतापगढ़ परिवार में आ रहे हैं। यह प्रतापगढ़ परिवार बनाया है डॉ. अमर मिश्रा ने। 

डॉ. अमर मिश्रा मूलतः प्रतापगढ़ के हैं और मुंबई के उपनगर मालाड में रहते हैं। अपनी संस्था उत्तर प्रभा के बैनर तले डॉ. अमर मिश्रा यूनिक काम करते रहते हैं। इसीलिए ये उत्तर भारतीय समाज और मुंबई की राजनीति में चर्चा का विषय बने रहते हैं। मुंबई में रह रहे उत्तर भारतीय जब अपने मुलुक (उत्तर प्रदेश) जाते हैं तो उन्हें एहसास होता है कि उनके गांववासी (पट्टीदार भी) उन्हें उतनी तवज़्ज़ो नहीं देते जितनी देनी चाहिए। शासन, प्रशासन से तो इन्हें घनघोर उपेक्षा मिलती है। वे अपनी मातृभूमि में भी परप्रांतीय बन जाते हैं। इसी टीस को कम करने के लिए डॉ. अमर मिश्रा ने प्रतापगढ़ परिवार बनाया और इसके जरिये मुंबई में रह रहे प्रतापगढ़ जनपदवासियों और प्रतापगढ़ के मानिंद लोगों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए स्नेह सम्मलेन, मित्र भोज, गेट टू गेदर आदि का आयोजन शुरू किया।  

प्रयोग के तौर पर उन्होंने दिसंबर 2022 में मीरा रोड के इस्कॉन मंदिर में प्रतापगढ़ जनपदवासियों का स्नेह सम्मलेन रखा। बहुत अच्छा प्रतिसाद मिला। लोगों ने डॉ. अमर मिश्रा के इस प्रयास, विचार, कोशिश की खूब सराहना की। इससे उत्साहित डॉ. अमर मिश्रा ने मुंबई के एसवी रोड, निकट न्यू इरा सिनेमा, मालाड (पश्चिम) स्थित बालाजी (अदिति) होटल में 15 फरवरी 2023 को मुंबई में रह रहे प्रतापगढ़ जनपदवासियों और प्रतापगढ़ जनपद के मानिंद लोगों का सम्मलेन रखा है। इस सम्मलेन की अध्यक्षता प्रतापगढ़ के राजा अनिल राजा करेंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी योगेश मिश्रा और गायक रवि त्रिपाठी की विशेष उपस्थिति रहेगी। कश्मीर फाइल्स जैसी बहुचर्चित फिल्म के अभिनेता प्रिंस पांडेय, सौरभ पांडेय, आनंद राज और अभिनेत्री स्मिता सिंह (सभी मूलतः प्रतापगढ़ के) को भी बुलावा भेजा गया है। 

मुंबई में गली-गली में उत्तर भारतीय नेता हैं। उत्तर भारतीय संस्थाएं हैं लेकिन जब भी कोई परेशान, प्रताड़ित उत्तर भारतीय इनके पास अपनी समस्या लेकर जाता है तो ये बिजनेसमैन, व्यापारी और न जाने क्या-क्या बन जाते हैं। ऐसे में डॉ. अमर मिश्रा की यह कोशिश सच में सराहनीय है। अलग फ्लेवर लिए हुए है। सबसे बढ़िया, प्रतापगढ़िया !!

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