एकनाथ शिंदे

अकेला

मुंबई में ग्लव्स के व्यापारी बृहन्मुम्बई महानगरपालिका के सेंट्रल परचेज़ डिपार्टमेंट (Central Purchase Department in BMC) के अधिकारियों के काम करने की स्पीड से आश्चर्यचकित हैं। जिस ग्लव्स (Gloves) के टेंडर को निकालने में वे दो महीना लगाते थे उसी टेंडर को इस बार चार दिन में निकाल दिया। किसी को कानों-कान खबर ही नहीं लगने दी। इतनी स्पीड में काम करने का कारण पूछने पर बताते हैं कि हमारा मुख्यमंत्री ऑटो वाला है न इसलिए ऑटो स्पीड में काम करना पड़ रहा है।

महानगरपालिका संचालित अस्पतालों में ग्लव्स आपूर्ति के लिए टेंडर नॉर्मली दो साल में एक बार निकलता है। टेंडर की प्रक्रिया पूरी करते-करते ग्लव्स व्यापारियों की नानी याद आ जाती थी। वर्षों से होता आया है कि टेंडर पास होते-होते मिनिमम दो महीने लग जाते थे। यहां तक कि नवंबर 2021 का पास हुआ टेंडर अभी अक्टूबर 2022 में निकला। ग्लव्स व्यापारी इस बात पर हैरान हैं कि जिस टेंडर को नॉर्मली दो महीने लगते थे उसे बीएमसी अधिकारियों ने चार दिन में निकालकर फुर्सत ले ली।

उससे भी ज़्यादा हैरानी की बात है कि जब ग्लव्स व्यापारियों ने इतनी स्पीड की वजह जाननी चाही तो उन्हें बताया गया कि उनका सीएम ऑटो वाला है। इसलिए ऑटो स्पीड में काम करना पड़ रहा है। जैसे ऑटो रिक्शा चालक रेड, ग्रीन सिग्नल की परवाह नहीं करता। गर्दी में भी आड़ा-टेढ़ा, दाएं-बाएं करके ऑटो निकाल ले जाता है उसी तरह अधिकारी ने भी ऑटो स्पीड में काम किया। पैसेंजर की साँसें ऑटो ड्राइवर की कलाबाजी देखकर अटकी रहती है। उसी तरह ग्लव्स व्यापारियों की भी साँसें अधिकारियों की कलाबाजी देखकर अटक गयी।


ग्लव्स टेंडर की प्रक्रिया में मुंबई के 10 बड़े व्यापारी पार्टिसिपेट करते हैं। टेंडर लगभग 30 से 50 करोड़ रुपये का होता है। ढाई परसेंट कमीशन फिक्स है। मनपसंद (सेलेक्टेड) व्यापारी का ही टेंडर पास होता है, यह भी फिक्स है। अधिकारियों का ट्रिक देखिये। व्यापारी सारे कागजात जमा कर देता है तो अधिकारी का उसे मेल आता है कि आपके डॉक्युमेंट्स प्रॉपर नहीं हैं। डॉक्युमेंट्स भेजिए। अधिकारी यह नहीं बताता कि कौन से डॉक्युमेंट्स प्रॉपर नहीं हैं। उसे कौन सा डॉक्युमेंट चाहिए। नियमतः इसके लिए तीन दिन का समय मिलता है। और तीन दिन का समय एक्सटेंड करके भी मिलता है। पूछने पर, मिलकर भी पूछने पर अधिकारी स्पष्ट नहीं करता कि कौन सा डॉक्युमेंट्स चाहिए। बस एक ही बात दोहराता रहता है कि डॉक्युमेंट्स चाहिए। और उसका टेंडर इस बिना पर रद्द कर देता है कि आपके डॉक्युमेंट्स प्रॉपर नहीं थे। बार-बार मांगने पर भी आपने डॉक्युमेंट्स नहीं दिए।

दूसरी बात, ग्लव्स व्यापारी अगर यह जानना चाहता है कि रेट ओपन कब होगा। अधिकारी ऐसा शो करता है कि दो-चार दिन तो लग ही जायेंगे। लेकिन उसी शाम को मेल कर बताता है कि रेट कल ओपन होगा। व्यापारी इतनी जल्दी के लिए तैयार नहीं रहता और टेंडर प्रक्रिया में फेल हो जाता है। उधर अधिकारी के सेलेक्टेड व्यापारी का टेंडर पास हो जाता है। व्यापारी तो व्यापारी हैं। खुलकर विरोध नहीं कर पाते। शिकायत भी नहीं कर पाते। डर रहता है कि अधिकारी उन्हें ब्लैक लिस्टेड कर देगा। यही धोखा इस बार भी किया। रेट ओपन कर दिया। निगोसिएशन कर दिया और सैंपलिंग भी फटाफट कर दिया।

बताते हैं कि इन सबका मास्टरमाइंड है अतिरिक्त आयुक्त संजीव कुमार (Additional Commissioner Sanjiv Kumar)। यही ऑटो और स्लो स्पीड कर रहा है।

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