एबीआई न्यूज़ का साइड इफेक्ट : न्यूज़ छपने के दिन तीन घंटे बंद रहा ‘छोटू मटका’, फिर उसी दिन पुलिस चौकी के पीछे नया अड्डा भी खुल गया, इसलिए तो कहते हैं ‘इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर’

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अकेला

एबीआई (Akela Bureau of Investigation) की न्यूज़ का उल्हासनगर में साइड इफेक्ट (Side Effect) हो गया। ‘छोटू मटका’ (Chhotu Matka) को बंद कराने के लिए एबीआई ने न्यूज़ प्रकाशित की थी। न्यूज़ का सिर्फ इतना असर हुआ कि मटका सिर्फ तीन घंटे बंद रहा। परन्तु न्यूज़ का एक साइड इफेक्ट भी हो गया। उसी दिन पुलिस चौकी के पीछे छोटू सावंत उर्फ़ छोटू (Chhotu Sawant alias Chhotu) ने नए मटके का शुभारम्भ (Inaugurated New Matka Adda) कर दिया। इसीलिए तो कहते हैं कि ‘इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर।’ (It happens only in Ulhasnagar).

उल्हासनगर-1, शहाड में छोटू मटका चार साल से चल रहा था। शहाड एरिया में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के मद्देनजर 25 जनवरी 2022 को पुलिस प्रशासन ने शहाड ओवरब्रिज के नीचे पुलिस चौकी खोल दी। यह पुलिस चौकी यानि पुलिस मदद कक्ष छोटू मटका के ठीक सामने 100 मीटर की दूरी पर है। मटका मालिक छोटू सावंत उर्फ़ छोटू ने पुलिस विभाग पर इतनी मेहरबानी की कि जिस दिन पुलिस चौकी का उद्घाटन था उस दिन धंधा बंद रखा। बाकी दूसरे दिन से फुल फ़्लैश धंधा शुरू कर दिया। ‘पुलिस चौकी माता’ की उस पर इतनी कृपा हुई कि धंधा खूब चल निकला। जुआरियों को पता है 20-20 रुपये लेने वाले ये पुलिसवाले छोटू सावंत का क्या उखाड़ (सॉरी बिगाड़) लेंगे। छोटू सावंत खुद पुलिस चौकी में बैठकर पुलिसवालों के लंच-वंच, डिनर-विनर, नाश्ता-वाश्ता, चाय-वाय का बंदोबस्त करता रहता है। अब पुलिस वाले इतने नमकहराम तो हैं नहीं कि छोटू का खाकर उसके पेट पर लात मारेंगे।

शहाड के कुछ व्यापारियों ने छोटू सावंत के इस डेयरिंग और पुलिस बेशर्मी की कहानी एबीआई को बताई। 23 अगस्त 2022 को एबीआई ने “इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर : जब से सामने पुलिस चौकी बन गई ‘छोटू मटका’ दिन-दूनी-रात-चौगुनी तरक्की करने लगा” शीर्षक से खबर प्रकाशित कर दी। खबर का इतना असर हुआ कि छोटू ने तीन घंटे मटका बंद रखा। फिर उसे शुरू कर दिया। आश्चर्य ! उसी दिन पुलिस चौकी के पीछे 100 मीटर की दूरी पर नया अड्डा शुरू कर दिया। पुराना मटका अड्डा पुलिस चौकी के आगे है। नया पुलिस चौकी के पीछे। अब पुलिस चौकी के आगे-पीछे मटके का अड्डा है।

कहानी में एक और ट्विस्ट है। एबीआई में न्यूज़ छपने के बाद पुलिस और अवैध धंधे वालों के पेट में दर्द बाद में होता है चिरकुट, ब्लैकमेलर, तथाकथित पत्रकारों के पहले होता है। छोटू सावंत ने बहुत लोगों से पूछा कि एबीआई (ABI) को न्यूज़ किसने दी। यह भी बोला कि अकेला (Akela) को 10-15 हजार देकर पटा लेता हूँ। छोटू ने ‘गोरा कौआ’ से भी पूछा। गोरा कौआ (Gora Kauaa) ने बताया कि ये न्यूज़ माइकल ने दी है। गोरा कौआ ने ये भी बताया कि एबीआई की न्यूज़ को सीरियस लेने की जरूरत नहीं है। वह अकेला और सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र कदम (Senior Inspector of Police Rajendra Kadam) को मैनेज कर लेगा।

अब आप बोलेंगे कि ‘काला कौआ’ (Kala Kauaa) तो सुना था ये गोरा कौआ (White Crow) कौन है। दरअसल गोरा कौआ 20 साल पहले पत्रकार हुआ करता था। अब सिर्फ पुलिस की दलाली करता है। बताते हैं इसी दलाली से वह 1,00,000 रुपये महीने कमा लेता है। माइकल का भी गोल मैदान में मटके का धंधा है। उसके यहां से गोरा कौआ को 2,000 रुपये महीना मिलता है। 2,000 रुपये के अलावा वह वड़ा-पाव, पाव-भाजी, सूटकेस, शर्ट का कपड़ा, गिफ्ट, ऑटो रिक्शा का किराया अलग से मांगता है। माइकल कभी-कभी नहीं देता तो गोरा कौआ छोटू सावंत से झगड़ा लगाना चाहता है। गोरा कौआ अवैध धंधे वालों से गिफ्ट लेता है और वही गिफ्ट पुलिस वालों को देता है। पुलिसवाले खुश। बदले में पुलिसवाले भी उसका दलाली का धंधा चलने देते हैं।

छोटू मटका के साथ-साथ गणेश लदगे (Ganesh Ladge) के भी धंधे पर न्यूज़ का कोई असर नहीं हुआ। जय भवानी माता मंदिर के पीछे, वीपी नाईक रोड पर गणेश लदगे का मादक पदार्थों का पुराना धंधा है। एमडी (MD), चरस (Charas), गांजा (Ganja), पोटली दारू (Potli Daru) सब बेचता है। बिंदास।

अब आप पूछेंगे कि सीनियर इंस्पेक्टर ‘राजेंद्र’ ने छोटू मटका पर कार्रवाई के लिए कोई ‘कदम’ क्यों नहीं उठाया। वे सो रहे थे क्या ? जवाब है कि नहीं। राजेंद्र कदम साहब बहुत सीधे-साधे इंसान हैं। इतने सरल, इतने दयालु कि उनकी केबिन से कोई भी अवैध धंधे वाला मुंह लटका कर नहीं निकलता। खुश होकर, सीना तान कर निकलता है। वे तो कहते हैं 2,000 रुपये महीना भी देगा तो चलेगा। धंधा चालू रख। आखिर अवैध धंधे वाला भी तो इंसान है। उस धंधे से उसके घर भी तो चूल्हा जलता है।

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