प्रकाश मुले

अकेला 

अथ श्री420 अजीत भाटिया पुराण (420 Ajit Bhatia Puran) के अगले अध्याय में पढ़िए कि जिस भूखंड का प्रॉपर्टी कार्ड सिटी सर्वे विभाग ने रद्द कर दिया था उसी भूखंड (प्लान) पर उल्हासनगर महापालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) के टाउन प्लानर प्रकाश मुले (Town Planner Prakash Mule) ने पूर्णता प्रमाण पत्र (Completion Certificate) दे दिया। बंगले का डॉक्युमेंट्स भी अजीत भाटिया एन्ड कंपनी ने बनाया था। 

शंकर गुरबोमल सेवलानी (Shankar Gurbomal Sevlani) और ध्रुव कुमार सेवलानी (Dhruv Kumar Sevlani) ने बैरक नंबर -277, कमरा- नंबर 14, 15 और 16, सीटीएस नंबर- 30350, सीट नंबर- 70, प्लॉट नंबर- 301, निकट झूलेलाल मंदिर चौक, उल्हासनगर-1 में खुद के रहने के लिए बंगला बनाने का प्लान उल्हासनगर महापालिका में सब्मिट किया। महापालिका के टाउन प्लानर होगे पाटिल (Town Planner Hoge Patil) ने 16 जुलाई 2012 को शंकर सेवलानी को प्रारम्भ प्रमाण पत्र (Commencement Certificate) (उमपा/नरवि/बांप-22/12/188) दे दिया। वर्ष 2013 में चार मंजिला बंगला बनकर तैयार हो गया।

उल्हासनगर के एक वरिष्ठ वकील को किसी ने बताया कि बंगले का प्लान पास करवाने में अजीत भाटिया का हाथ है। मतलब दाल में कुछ तो काला है नहीं, पूरी दाल ही काली है। उन्होंने बंगले के सभी डॉक्युमेंट्स देखे। पढ़े। उन्हें समझ में आया कि कमरा नंबर दो और चार की सनद कमरा नंबर 14, 15 और 16 में यूज़ की गई है। इस बाबत वकील ने वर्ष 2014 में जिलाधिकारी, महापालिका और सम्बंधित विभाग में सनद और प्रॉपर्टी कार्ड रद्द करने की शिकायत कर दी। शिकायत का असर हुआ। सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ़ लैंड रिकॉर्ड ऑफिस ने सिटी सर्वे ऑफिस को मामले की जांच करने और कार्रवाई करने का आदेश दे दिया। सिटी सर्वे ऑफिस ने शिकायत सही पाई। सिटी सर्वे ऑफिस ने 11 अप्रैल 2017 को शंकर सेवलानी के बन गए बंगले का प्रॉपर्टी कार्ड रद्द कर दिया। कानूनन उल्हासनगर महापालिका को इस बंगले को तोड़ देना चाहिए था। लेकिन महापालिका ने तोड़ा नहीं। 

अजीत भाटिया

काफी साल बाद उल्हासनगर महापालिका में प्रकाश मुले का टाउन प्लानर के रूप में अवतरण हुआ। 24 जनवरी 2022 को प्रकाश मुले ने उसी बंगले का पूर्णता प्रमाण पत्र दे दिया। प्रकाश मुले जी बड़े दयालु टाइप के भ्रष्ट अधिकारी हैं। उन्होंने 25 लाख रूपये अपना रेट फिक्स किया हुआ है। 25 लाख रुपये ओपन फीस भरकर कोई भी, कहीं भी, कैसा भी सर्टिफिकेट प्रकाश मुले जी से हासिल कर सकता है। इसके लिए प्रकाश मुले ने राहुल जोते (Rahul Jote) नामक व्यक्ति को काम पर रखा हुआ है। राहुल जोते ही टाउन प्लानर का स्टैम्प बैग में लेकर घूमता है। जहां बुलाओ वहां पहुंच जाता है। पेमेंट करने पर वह ठप्पा मारकर, प्रकाश मुले की सिग्नेचर करके सर्टिफिकेट दे देता है। प्रकाश मुले फाइल-वाइल पढ़ने की ज़हमत नहीं उठाते। प्रकाश मुले ने शंकर सेवलानी की भी फाइल नहीं पढ़ी। पढ़ते तो मालूम पड़ता कि बंगले का प्रॉपर्टी कार्ड रद्द हो चुका है। पढ़ते तो यह भी मालूम पड़ता कि जिस बंगले की सीसी वे 24 जनवरी 2022 को दे रहे हैं उसी फाइल में प्लम्बिंग वर्क का सर्टिफिकेट 25 मई 2011 को दिया हुआ का लगा है। किसी एसबी दवने (SB Davane) ने यह सर्टिफिकेट दिया हुआ है। इस बंगले के आर्किटेक्ट दीपकसिंह खालसा (Architect Deepak Singh Khalsa) हैं और आरसीसी इंस्ट्रक्टर आरती छाबरिया (RCC Instructor Aarti Chhabria) हैं।  

अब कोई भी कह सकता है कि अजीत भाटिया का बिजनेस पार्टनर हो जाने से शंकर सेवलानी का बंगला अवैध नहीं हो जाता। सारे डॉक्युमेंट्स फर्जी नहीं हो जाते। तो बता दें कि शंकर सेवलानी ने 20 जून 2015 को टाउन प्लानर को एक पत्र लिखा है। बंगला शंकर सेवलानी का है। पत्र शंकर सेवलानी लिख रहा है लेकिन उस पत्र पर सिग्नेचर अजीत भाटिया का है। नाम शंकर सेवलानी लिखा है लेकिन सिग्नेचर करके लिखा है- फॉर अजीत भाटिया (For Ajit Bhatia)। IT HAPPENS ONLY IN ULHASNAGAR.

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