प्रवीण मुन्दड़ा

अकेला 

मुंबई के समाजसेवक डॉ. वेद तिवारी (Dr. Ved Tiwari) ने अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए, FDA) विभाग, ठाणे के सहायक आयुक्त (Assistant Commissioner) प्रवीण मुन्दड़ा (Pravin Mundada) पर कार्रवाई की मांग को लेकर फिर शिकायत की है। प्रवीण मुन्दड़ा ने उल्हासनगर के डॉ. विनोद श्याम राय (Dr. Vinod Shyam Rai) की क्लीनिक पर छापा मारा। यह साबित हो गया कि विनोद राय फर्जी डॉक्टर (Bogus Doctor) है फिर भी उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। छापे को आठ माह बीत गए।

9 अक्टूबर 2021 को डॉ. वेद तिवारी ने एफडीए आयुक्त (FDA Commissioner) डॉ. परिमल सिंह (Dr. Parimal Singh) से लिखित शिकायत कर प्रवीण मुन्दड़ा के खिलाफ विभागीय जांच (Departmental Enquiry) करने और बड़ा दंड (Major Penalty) देने की मांग की है। शिकायत की प्रति एबीआई (abinet.org) के पास मौजूद है।

डॉ. वेद तिवारी

डॉ. वेद तिवारी की ही शिकायत पर प्रवीण मुन्दड़ा ने 26 फरवरी 2021 को विनोद राय की क्लीनिक पर छापा मारा था। विनोद राय खुशी मेडिकल स्टोर के सामने, स्टेशन रोड, उल्हासनगर-3, ठाणे में सोनी क्लीनिक चलाता था। प्रवीण मुन्दड़ा के साथ छापे में निरीक्षक वी.बी. तासखेड़कर, निरीक्षक जी.पी. आहेर, उल्हासनगर महापालिका की वैधकीय अधिकारी डॉ. प्रांजलि पेंडणेकर, डॉ. इमरान पटेल, सेन्ट्रल पुलिस स्टेशन के उप निरीक्षक किरण आंबेकर, पुलिसकर्मी अमोल धुमाल और जे. डी. वातस भी थे।

इस छापे में मालूम पड़ा कि विनोद राय ने मेडिकल की कोई भी पढ़ाई नहीं की है। वह महाराष्ट्र मेडिकल कॉउन्सिल में पंजीकृत भी नहीं था। वह अपने दोस्त डॉ. एन.पी. राय (Dr Neeraj Panchanan Rai) (बीएएमएस, रजिस्ट्रेशन नंबर- I-38413-A-1) की डिग्री पर प्रैक्टिस कर रहा था। डॉ. एन.पी. राय की 31 दिसम्बर 2016 को मौत हो गई है। उसकी क्लिनिक से लोमोफेन प्लस टैबलेट्स (LOMOFEN PLUS TABLETS), डेक्साकप इंजेक्शन (DEXAKOP INJECTION), चेस्टन कोल्ड टैबलेट्स (CHESTON COLD TABLETS) और मोनोरिन -150 टैबलेट्स (MONORIN-150 TABLETS) बरामद हुए। बरामद दवाइयों की बिल, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, क्लिनिक की जगह के डॉक्युमेंट्स न दे पाने पर विनोद राय को 18-ए के तहत नोटिस दी गई और चार दिन में जवाब देने को कहा गया। कुछ खुली दवाइयां, स्टेटस स्कोप, बीपी आपेरट्स, ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर आदि सामग्री को जब्त कर लिया गया।

महीनों बीत जाने के बाद भी जब विनोद राय के खिलाफ एफआईआर जैसी गंभीर कार्रवाई नहीं हुई तो वेद तिवारी ने आरटीआई में जानकारी माँगी। मुन्दड़ा ने जानकारी नहीं दी। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने ऑर्डर दिया कि वेद तिवारी को निःशुल्क जानकारी दी जाये। मुन्दड़ा ने फिर भी जानकारी नहीं दी। इस बीच एबीआई ने मुन्दड़ा के भ्रष्टाचार की एक बड़ी न्यूज़ प्रकाशित कर दी। उधर डॉ. परिमल सिंह नए कमिश्नर आ गए। उन्होंने मुन्दड़ा से ठाणे (परिमंडल 6) का अधिकार छीन लिया। मुन्दड़ा की जगह नए सहायक आयुक्त बने आरपी चौधरी ने वेद तिवारी को विनोद राय से सम्बंधित सभी डॉक्युमेंट्स दे दिए।

प्रवीण मुन्दड़ा सबको यह कहता फिरता था कि एफडीए ने अपना काम कर दिया। अब उल्हासनगर महापालिका का काम है एफआईआर करना। एफडीए कानून कहता है कि अगर किसी के पास एलोपैथी दवाइयां मिलती हैं तो एफडीए अधिकारी को एक्शन लेने का अधिकार मिल जाता है। विनोद राय के पास दवाइयां मिलीं थीं। फर्जी डॉक्टर्स पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की बनाई गई पुनर्विलोकन समिति में भी एफडीए अधिकारी को एफआईआर करने का अधिकार दिया गया है। मुन्दड़ा तो छापे में शामिल था। उसने ही पंचनामा किया था। फिर भी एफआईआर नहीं की।

विनोद राय ने गैंगस्टर नरेश चड्ढी की हत्या को सामान्य मृत्यु बताते हुए मेडिकल सर्टिफिकेट दिया था। इस पर भी प्रवीण मुन्दड़ा, वी.बी. तासखेड़कर, निरीक्षक जी.पी. आहेर, उल्हासनगर महापालिका की वैद्यकीय अधिकारी डॉ. प्रांजलि पेंडणेकर, डॉ. इमरान पटेल और सेन्ट्रल पुलिस स्टेशन के उप निरीक्षक किरण आंबेकर, पुलिसकर्मी अमोल धुमाल और जे.डी. वातस ने नज़रअंदाज़ किया। अब इतने गंभीर मामले में इन अधिकारियों ने मुफ्त में चुप्पी साधी नहीं होगी। “मैं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से इसकी जांच करवाऊंगा। जरूरत पड़ी तो बॉम्बे हाईकोर्ट जाऊंगा,” कहते हैं डॉ. वेद तिवारी।

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