अकेला
मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर दया बड्डा नायक की जीवनी शुरुआत से मीडिया में फ़िल्मी कहानी के रूप में प्रस्तुत की जाती रही है। चाय के रेस्टोरेंट में फटका मारने वाले (वेटर) और घर-घर जाकर प्लम्बिंग का काम करने वाले (प्लम्बर) से वे जांबाज़ पुलिस अधिकारी कैसे बने यही दिखाया जाता रहा है। उनकी जीवनी पर फिल्में भी बनीं हैं। कुल मिलाकर उनका रहन-सहन, लाइफ स्टाइल, चाल-ढाल पुलिस अधिकारी कम फ़िल्मी ही रही है। अब संयोग देखिये कि उनकी जीवनी सच में बॉलीवुड की चर्चित फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ जैसी निकली।
राज्य सरकार ने दया नायक की शैक्षणिक डिग्रियों की जांच शुरू की है। अब तक जो जांच रिपोर्ट आई है वह बेहद चौंकाने वाली है। उसके अनुसार दया नायक फर्जी शैक्षणिक डिग्रियों की बदौलत मुंबई पुलिस में नौकरी कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने एबीआई को बताया कि एक पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) स्तर के अधिकारी दया नायक की डिग्रियों की जांच कर रहे हैं। जांच के अनुसार दया नायक ने बताया है कि 8वीं, 10वीँ और 12वीं की पढ़ाई उन्होंने अपने पैतृक गांव से की है और ग्रेजुएशन (बी. कॉम) मुंबई से किया है। वे कर्नाटक राज्य के उड़िपी जिले के येनहोले गांव के रहने वाले हैं।
ग्रेजुएशन की डिग्री उनकी फर्जी मालूम पड़ती है। उन्होंने पुलिस विभाग (पीटीसी) को सिर्फ इतना बताया है कि उन्होंने बी. कॉम तक की पढाई की है। यह नहीं बताया है कि ग्रेजुएशन उन्होंने कौन से कॉलेज से किया है। कौन से वर्ष में किया। और तो और अगर उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पैतृक गांव से की है तो उन्होंने जो मुंबई में बनी डोमिसाइल सर्टिफिकेट सब्मिट किया है, वह फर्जी है।
दया नायक भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं। वे 59 दिन पुलिस और न्यायिक हिरासत में रहे। उनके खिलाफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, मुंबई में अभी भी हफ्ता उगाही (भादंसं की धारा- 384, 385, 386, 387, 388, 213 और 34) की पिटीशन (पीडब्ल्यू/3200526/1999) लंबित है फिर भी एटीएस जैसे संवेदनशील विभाग में उनकी पोस्टिंग रही है।