ठाणे जिले के कल्याण (पश्चिम) स्थित ‘मोहन अल्टिज़ा’ गगनचुम्बी इमारत ‘हेलीपैड वाली बिल्डिंग’ के नाम से मशहूर है। हेलीपैड की ही वजह से बिल्डर ने ज़्यादा कीमत में फ्लैट्स बेचे और रईस लोगों ने फ्लैट्स खरीदे भी। अब रईसजादों की यह बिल्डिंग पूरी तरह अवैध साबित हो गई है। आश्चर्य की बात ये है कि जिस मोहन ग्रुप ने यह पॉश गृह संकुल डेवलप किया है उसके ही पारिवारिक सदस्य महेश लालचंदानी ने इसे अवैध साबित किया है। इससे भी आश्चर्य की बात है कि संकुल का आधा-अधूरा भाग नहीं पूरा संकुल ही अवैध है।

मेसर्स मोहन लाइफस्पेसेस एलएलपी द्वारा विकसित ‘मोहन अल्टिज़ा’ (सर्वे नंबर- 15/5, 17, 62/1 और 2, 18, 23, 9 और 4) कल्याण (पश्चिम) में गन्धारे पुल के पास स्थित है। 11 एकड़ में विकसित इस प्रोजेक्ट में 28-28 मंजिल की तीन इमारतें हैं। इसमें कुल 350 फ्लैट्स हैं। इसके भागीदार जीतेन्द्र लालचंदानी, अमित गाँधी, राजेश किशिनसिंघानी, कुमा विधानी, लखी श्रृंगी, ओमप्रकाश मचनद्या, धीरज भाटिया, जीतू लालचंदानी, हरि भाटिया, मनोहर मचनद्या, सुनील हरचंदानी और तुषार लालचंदानी हैं। इसके आर्किटेक्ट जॉन वर्गीस हैं।

महेश लालचंदानी ने 26 अगस्त 2020 को कल्याण डोम्बिवली महापालिका (केडीएमसी) तथा अन्य सम्बंधित विभागों में शिकायत कर इमारत से सम्बंधित दस्तावेज मांगे। इससे विभाग में खलबली मच गई। सभी विभागों ने एक दूसरे से दस्तावेज़ मांगे तो किसी के पास भी परफेक्ट दस्तावेज़ नहीं थे। विभागों ने बिल्डर जीतेन्द्र लालचंदानी से दस्तावेज़ प्रस्तुत करने को कहा तो वे भी विफल रहे। इस बाबत इमारत पूरी तरह अवैध साबित हो गई।

जीतेन्द्र लालचंदानी ने इमारत निर्माण में किसी भी रूल्स-रेगुलेशन्स का पालन नहीं किया। सर्वे नंबर 15/5 और 23/1 भूखंड पर तो प्लान ही पास नहीं करवाया और निर्माण कर डाला। प्लान में प्रत्येक मंजिल पर रिफ्यूजी एरिया, सर्वेंट रूम, सर्वेंट ट्वायलेट पास है लेकिन जीतेन्द्र लालचंदानी ने किसी भी मंजिल पर रिफ्यूजी एरिया, सर्वेंट रूम, सर्वेंट ट्वायलेट नहीं बनाया। कॉमन पैसेज एरिया को भी जीतेन्द्र लालचंदानी ने फ्लैट्स में कवर कर लिया। प्लान के हिसाब से जीतेन्द्र लालचंदानी ने फ्लैट्स मालिक से धोखाधड़ी की और उन्हें प्रति फ्लैट के पीछे 40 वर्ग फुट एरिया ज़्यादा बेच दिया।

महेश लालचंदानी का आरोप है कि महापालिका का कोई भी अधिकारी कभी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर विजिट करने नहीं गया। कार्यालय में बैठे-बैठे ही ओसी और सीसी मंजूर कर दी।

जीतेन्द्र लालचंदानी ने फ्लैट्स मालिक के साथ राज्य सरकार और महापालिका प्रशासन को भी ठग लिया। नियम के तहत पांच प्रतिशत फ्लैट्स सरकार को हैंडओवर करना था और कुछ भूभाग केडीएमसी के लिए छोड़ना था। जीतेन्द्र लालचंदानी ने ऐसा भी नहीं किया। जीतेन्द्र लालचंदानी ने 9 दिसम्बर 2020 को रिवाइज्ड बिल्डिंग परमिशन (सुधारित निर्माण) मांगी थी लेकिन महापालिका प्रशासन ने उसे भी रिजेक्ट कर दिया था।

एबीआई के पास समस्त दस्तावेज़ हैं जिससे साबित होता है कि पूरा प्रोजेक्ट पूरी तरह यानि शत प्रतिशत अवैध है। महेश लालचंदानी ने मेसर्स मोहन लाइफस्पेसेस एलएलपी के संचालक जीतेन्द्र लालचंदानी और अन्य भागीदारों के खिलाफ एमआरटीपी तथा अन्य कानून के तहत कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अवैध प्रोजेक्ट को तोड़ देने की भी मांग की है।

 

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