गणेश शिम्पी

अकेला

अफ्रीकी महाद्वीप का सोमालिया विश्व का सबसे भ्रष्ट देश घोषित है। जिस भी समिति, एसआइटी या सर्वेयर टीम ने सोमालिया को सबसे भ्रष्ट देश घोषित किया, एक्चुअल में उसने उल्हासनगर शहर की विजिट ही नहीं की। वह उल्हासनगर के नेता, नगरसेवक, पत्रकार, समाजसेवक, पुलिस, व्यापारी और महापालिका अधिकारियों से मिला ही नहीं। यह सौ फ़ीसदी सच है कि भ्रष्टाचार जगत के नूरे-ए-नज़र उल्हासनगर में ही पाए जाते हैं, सोमालिया में नहीं। ज़मीर लेंगरेकर, करुणा जुइकर, राजा रिज़वानी, राजा बुलानी, प्रकाश मुले, नीलम बोडारे और श्रद्धा बाविस्कर के बाद अब सहायक आयुक्त शिम्पी के उत्थान-पतन-उत्थान का गणेश पुराण पढ़िए।

राजेंद्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’

शिवसेना शहर प्रमुख और वरिष्ठ नगरसेवक राजेन्द्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’ ने मुख्यमंत्री, महापालिका आयुक्त और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में गणेश शिम्पी के खिलाफ शिकायतें की हैं। शिकायतों की प्रति एबीआई के पास है।

इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर

भाजपा नगरसेवक नरेंद्र राजानी उल्हासनगर महापालिका स्थायी समिति के प्रथम सभापति थे। गणेश शिम्पी ने नरेंद्र राजानी के मातहत 800 रुपये मानधन पर बतौर निजी क्लर्क पांच महीने काम कर महापालिका मुख्यालय में प्रवेश का श्रीगणेश किया। फिर इसने तत्कालीन उद्योगमंत्री लीलाधर डाके तक लिंक निकाली। लीलाधर डाके ने मुख्यालय उपायुक्त जुगनसिंह ढाकरे को फोन कर गणेश शिम्पी को महापालिका में नौकरी पर रखने का दबाव डाला। तब जुगनसिंह ढाकरे के पास आयुक्त का चार्ज था। बावजूद इसके उन्होंने गणेश शिम्पी को आयुक्त कार्यालय में लघु लेखक (स्टेनोग्राफर) के पद पर नियुक्त कर दिया। यहीं महापालिका प्रशासन से गलती हो गई। लघु लेखक की दो ही पोस्ट थी। एक ओपन के लिए दूसरी एससी के लिए। ओपन पोस्ट पर ऑलरेडी श्याम शिवनानी की नियुक्ति हो गई थी। एससी पोस्ट पर गणेश शिम्पी को पोस्ट कर दिया। जबकि गणेश शिम्पी एससी न होकर ओबीसी है। तब महापालिका कर्मचारी यूनियन ने इसका विरोध किया था। शिकायतें भी की थीं। यूनियन का कहना था कि गणेश शिम्पी की नियुक्ति अवैध है।

तब महापौर यशस्विनी नाईक थीं और सभागृह नेता राजेन्द्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’ थे। दोनों ने विरोध किया था कि गणेश शिम्पी की नियुक्ति बिना आमसभा में प्रस्ताव पास किये ही डायरेक्ट कर दी गई थी। दोनों को प्रशासन ने चुप करा दिया कि शिवसेना पार्टी के ही मंत्री लीलाधर डाके ने उसकी नियुक्ति करवाई है। यशस्विनी नाईक और भुल्लर ‘महाराज’ शिवसेना पार्टी के नेता हैं।

इतने विरोध के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई तो गणेश शिम्पी ने अपना रंग दिखाना शुरू किया। उसका मूल काम स्टेनोग्राफर का था लेकिन वह आयुक्त के पर्सनल सेक्रेटरी जैसा बन बैठा। वह आयुक्त का लेटर खुद ड्रॉफ्ट करने लगा। लेटर में सुधार के बहाने आयुक्त के पास बार बार जाने लगा। ऐसे में आयुक्त की निजी जरूरतों को पूरा करने लगा। फिर आयुक्त के आर्थिक लेन देन का व्यवहार देखने लगा। उसकी ख्याति ज़्यादा बढ़ जाने से मुख्यालय कर्मचारियों ने उसकी हरकतों का फिर विरोध किया। कड़ा विरोध किया। तब आयुक्त आर.के. सोनावणे ने गणेश शिम्पी को अपने कार्यालय से हटाकर सचिव प्रकाश कुकरेजा के विभाग में बतौर स्टेनोग्राफर स्थानांतरित कर दिया। उसने यहां 40 महीने तक काम किया।

आयुक्त की सेवा करते करते गणेश शिम्पी के मुंह दलाली और अय्याशी का खून लग गया था। वह सचिव प्रकाश कुकरेजा के कार्यालय में बैड फील कर रहा था। आखिरकार उसने तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाने की शरण ली। युवराज भदाने भी मुख्यालय के बड़े कलाकार अधिकारी के तौर पर फेमस थे। गणेश शिम्पी ने युवराज भदाने से चड्ढी-बड्डी जैसी दोस्ती कर ली। अर्थात युवराज भदाने जैसे शातिर व्यक्ति को भी उसने अपने पैमाने में उतार लिया। मुख्यालय में इस बात की चर्चा थी कि युवराज भदाने ने तब के आयुक्त सदाशिव कांबले को पता नहीं क्या जड़ी बूटी सुंघाई थी कि सदाशिव कांबले उतना ही करते थे जितना युवराज भदाने कहते थे। युवराज भदाने ने सदाशिव कांबले को सेट किया और सदाशिव कांबले ने दिसम्बर 2006 में गणेश शिम्पी की घर वापसी करवा दी। युवराज भदाने ने उसी दिन घर वापसी का पत्र रात 12 बजे गणेश शिम्पी को उसके घर ले जाकर दिया। फिर गणेश शिम्पी ने युवराज भदाने को कुछ दिया।

आयुक्त सदाशिव कांबले का सर पर हाथ और कलाकार युवराज भदाने से गुरु-त्वाकर्षण की दोस्ती ने गणेश शिम्पी को खूंखार बना दिया। उसने अपना रेट ओपन कर दिया। प्रति फाइल के पीछे 500 रुपये। बीट इंस्पेक्टर से 5000 रुपये, प्लान पासिंग का 10,000 रुपये। अवैध निर्माण, मंत्रालय में फैक्स, मुख्यालय में आई शिकायतों को दबाने के लिए रकम वसूलने लगा।

फिर वह दिन आ ही गया। गणेश शिम्पी लेदर करेन्सी का भी बहुत शौक़ीन है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत प्रशांत लहाने नामक एक कर्मचारी ने सर्विस एक्सटेंशन के लिए निवेदन पत्र दिया था। गणेश शिम्पी ने उसके निवेदन पत्र को दबा दिया। आयुक्त तक भेजा ही नहीं। इसके बदले वह प्रशांत लहाने से लाखों रुपये रिश्वत तो मांग ही रहा था उसकी बहन के साथ एक रात सोने के लिए दबाव भी डाल रहा था। हताश प्रशांत लहाने ने 2 अगस्त 2011 को महापालिका मुख्यालय में आग लगाकर आत्महत्या कर ली। इस मामले में गणेश शिम्पी के खिलाफ सेन्ट्रल पुलिस स्टेशन में विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज है।

मनोज जगवानी नामक बिल्डर ने हिललाइन पुलिस स्टेशन में 18 अप्रैल 2013 को गणेश शिम्पी और कांग्रेस नगरसेविका जया साधवानी उर्फ़ दीदी के खिलाफ शिकायत कर दी । गणेश शिम्पी और जया साधवानी मोहन जगवानी के अवैध निर्माण पर एक्शन न लेने के बदले 50 लाख रुपये प्रोटेक्शन मनी मांग रहे थे।

गणेश शिम्पी और जया साधवानी ने फिर अनवर खान और मनोज ठाकुर के अवैध निर्माण के लिए प्रोटेक्शन मनी मांगे। जया साधवानी ने एक लाख रुपये ले लिए थे। दो लाख रुपये और मांग रही थी। गणेश शिम्पी ने भी एक लाख रूपए माँगा। 50,000 रुपये पर मान गया। इसी 50,000 रुपये की पहली किश्त 25,000 रुपये लेते भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 8 मई 2013 को गणेश शिम्पी को गिरफ्तार कर लिया। तब आयुक्त बी. एन. खतगांवकर ने उसे निलंबित कर दिया था।

गणेश शिम्पी डांस बारों में डांस करने जाता रहता था। एक दिन वह कल्याण के रंग डांस बार में गया। वहां बार बालाओं के साथ डांस करने को लेकर सुनील जाधव नामक एक ग्राहक से उसका झगड़ा हो गया। मामला बाजारपेठ पुलिस स्टेशन गया। वहां डायरी में मैटर को दर्ज कर पुलिस ने दोनों पार्टियों को छोड़ दिया। गणेश शिम्पी के साथ उस दिन पी. ओ. पाटिल भी था। पी. ओ. पाटिल अब अम्बरनाथ में कन्स्ट्रकशन के धंधे में है और गणेश शिम्पी उसके धंधे में स्लीपिंग पार्टनर। क्रमश …

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