अकेला
दृश्य-1 : संजय मेटकरी 12 मार्च 2021 की सुबह 10.30 बजे रोज़ाना की तरह भगवान को अगरबत्ती कर अपनी नवी मुंबई, कामोठे की दुकान पर बैठे थे। अचानक पांच लोग (एक पुलिस यूनिफार्म में) प्रकट हुए और संजय को पीछे से कॉलर पकड़ कर, धक्का देते हुए एक निजी वाहन में बैठा दिया। मोबाइल फोन छीन लिया। संजय ने क्या, क्यूँ, कैसे, कुछ पूछना चाहा तो उन्हें डांटकर बताया- कंधे पर लगा थ्री स्टार दिखता नहीं क्या ? संजय को कुछ नहीं बताया। वे कौन हैं, क्यों ऐसा कर रहे हैं, कहाँ ले जा रहे हैं। बस कंधे पर लगा थ्री स्टार दिखाया।
दृश्य -2 : संजय मेटकरी के बुज़ुर्ग पिता सोपान मेटकरी को पता लगने पर शाम को वे नवी मुंबई के नेरुल पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां मालूम पड़ा जिसके कंधे पर थ्री स्टार लगा था उसका नाम नितिन शिरसाट है। वह एपीआई है। शिरसाट ने बताया कि संजय मेटकरी के खिलाफ डांस बार मालिक किरण शाह ने चीटिंग की एफआईआर की है। सोपान मेटकरी नितिन शिरसाट को बताना चाहे कि किरण शाह बहुत बड़ा फ्रॉड है। मदन बल्लाल और अमर देसाई के जरिये पुलिस को गुमराह करता है। सोपान मेटकरी डाक्यूमेंट्स दिखाना चाहे कि यह सिविल डिस्प्यूट है। इसी विवाद में कोर्ट में कई केस चल रहे हैं। शिरसाट ने कहा- उन्हें कुछ नहीं देखना-सुनना। एफआईआर दर्ज है तो संजय मेटकरी को गिरफ्तार करना ही पड़ेगा। बस।
दृश्य-3 : अमूमन ‘सेटिंग’ में जब पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है तो शुक्रवार के दिन। कारण- शनिवार, रविवार को हॉलिडे कोर्ट रहता है। मजिस्ट्रेट बेल नहीं देता। पुलिस कस्टडी ही देता है। सीनियर इंस्पेक्टर छुट्टी पर रहता है। संजय मेटकरी को भी शुक्रवार को गिरफ्तार किया। नेरुल पुलिस स्टेशन का सीनियर इंस्पेक्टर श्याम शिंदे छुट्टी पर था। सात दिन पुलिस/न्यायिक हिरासत में रहने के बाद मजिस्ट्रेट ने संजय मेटकरी को इस बिना पर जमानत दे दी कि 1- नितिन शिरसाट ‘से’ फाइल करने में विफल रहा। 2- केस डायरी और पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि संजय मेटकरी के खिलाफ प्राइमाफेसी कोई स्ट्रॉन्ग केस नहीं है। और 3- पुलिस विवादित डाक्यूमेंट्स को बरामद करने में विफल रही।
दृश्य-4 : विवादित डाक्यूमेंट्स का मतलब है तुर्भे के सफायर डांस बार को लेकर किरण शाह और अंकुश पांडोले के बीच सब- कॉन्डक्टिंग एग्रीमेंट। 26 मार्च 2019 को नेरुल पुलिस स्टेशन की हद में यह एग्रीमेंट नोटराइज़्ड हुआ था। इसलिए नेरुल पुलिस को अधिकार आ गया संजय मेटकरी के खिलाफ एफआईआर लेने का। सब- कॉन्डक्टिंग एग्रीमेंट अंकुश पांडोले ने किरण शाह के लिए बनवाया था। एग्रीमेंट पर अंकुश पांडोले के हस्ताक्षर हैं। एग्रीमेंट पर संतोष भोईर की रिसीविंग साइन है। नोटरी अधिकारी के रजिस्टर में भी अंकुश पांडोले के हस्ताक्षर हैं। इसी डाक्यूमेंट्स की झेरॉक्स कॉपी को कोर्ट में प्रस्तुत करना था। अपने पास रखते हुए भी नितिन शिरसाट ने कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया। कोई महामूर्ख या अँधा होगा तो बता देगा कि संजय मेटकरी का सब- कॉन्डक्टिंग एग्रीमेंट से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं। अब नितिन शिरसाट एपीआई ठहरा और उसके कंधे पर थ्री स्टार भी लगा था, इसीलिए उसने संजय मेटकरी को गिरफ्तार कर लिया।
दृश्य -5 : सोपान मेटकरी का ट्रासंपोर्ट और संजय मेटकरी का मेटल का नवी मुंबई में अच्छा-खासा व्यवसाय है। शहर में दोनों की अच्छी प्रतिष्ठा है। दबदबा है। कहते हैं पुलिस की न दोस्ती अच्छी, न दुश्मनी अच्छी। संजय मेटकरी की नवी मुंबई पुलिस मुख्यालय में कार्यरत कांस्टेबल संदीप वाघमोड़े से दोस्ती थी। यही दोस्ती उनके लिए घातक बनी। संदीप वाघमोड़े ने संजय मेटकरी को इस बात के लिए राजी कर लिया कि डांस बार के धंधे में इन्वेस्टमेंट कम, रिस्क कम और कमाई ज़्यादा है। वाघमोड़े ने कहा कि वह पुलिसवाला है और उसे मालूम है किस पुलिसवाले को कितना-कितना हफ्ता देना पड़ता है। वह सब मैनेज कर लेगा। प्रत्येक रईस आदमी की तरह संजय मेटकरी ने भी डमी आदमी अंकुश पांडोले को फ्रंट पर रखा। अंकुश पांडोले ऑटो रिक्शा चलाता था। संदीप वाघमोड़े ने ही पांडोले को मेटकरी से मिलवाया था। मेटकरी ने अंकुश पांडोले के नाम रेस्टोरेंट एंड बार का लाइसेंस बनवा दिया। बार का कंस्ट्रकशन, इंटीरियर, लैंडलॉर्ड को डिपाजिट आदि काम में संजय मेटकरी ने डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर दिए। वर्ष 2016 में बार शुरू हो गया। लैंडलॉर्ड रामू घोटकर को किराया संजय मेटकरी देते रहे और पुलिस, पत्रकार, समाजसेवक, नेता को हफ्ता संजय मेटकरी से लेकर अंकुश पांडोले देता रहा। संदीप वाघमोड़े, अंकुश पांडोले, मदन बल्लाल और तुर्भे पुलिस स्टेशन के तब के सीनियर इंस्पेक्टर अमर देसाई मज़ा मारते रहे।
दृश्य -6 : संजय मेटकरी की ज़िन्दगी में तूफ़ान तब आया जब किरण शाह ने बार को किराये पर लिया। इस गुजराती भाई ने अपना रंग दिखा दिया। ऐसा चक्कर चलाया कि संदीप वाघमोड़े, अंकुश पांडोले, सुनील सुपे, मनोज शेट्टी, अमर देसाई, मदन बल्लाल, रामू घोटकर सब संजय मेटकरी के खिलाफ हो गए। चूँकि लाइसेंस अंकुश पांडोले के नाम था तो किरण शाह ने अंकुश पांडोले को ख्वाब दिखा दिया कि बार का मालिक तो तू है। संजय मेटकरी नहीं। डोम्बिवली के पास ठाकुर्ली में 10 X 10 के झोपड़े में रहने वाला, दो टके का रिक्शा चालक अंकुश पांडोले हवा में उड़ने लगा। उसने मान लिया कि वह ‘सेठ’ बन गया है। बार पर कब्ज़ा करने के लिए संजय मेटकरी को धंधे से दूर करना जरूरी था। संयोग से अंकुश पांडोले ने संजय मेटकरी को बार की पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी दे दी थी। पॉवर ऑफ अटॉर्नी रद्द करवाने के लिए किरण शाह ने अमर देसाई और मदन बल्लाल का सहारा लिया। अमर देसाई ने सारे हथकंडे अपना लिए लेकिन संजय मेटकरी ने पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी रद्द नहीं की। चूँकि लाइसेंस अंकुश पांडोले के नाम था तो बैंक का ज़्यादातर व्यवहार वही देखता था। एक प्वाइंट पाकर किरण शाह ने अंकुश पांडोले के जरिये संजय मेटकरी के खिलाफ एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर करने की तुर्भे पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवा दी। अमर देसाई तो संजय मेटकरी से खार खाये बैठा ही था। एफआईआर लेने में देर नहीं की और उसे स्कैम दिखाकर आर्थिक अपराध शाखा में ट्रांसफर कर दिया।
दृश्य-7 : संजय मेटकरी ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए ठाणे सत्र न्यायालय में अर्जी दी। कोर्ट में अंकुश पांडोले ने खुद को बार मालिक बताया और संजय मेटकरी को अपना नौकर। उसने बताया संजय मेटकरी को उसने 25,000 रुपये महीने वेतन पर काम पर रखा था। अपने बचाव में संजय मेटकरी ने पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी, जनरल पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी और एमओयू (करारनामा) कोर्ट को दिए। एमओयू में अंकुश पांडोले ने खुद लिखा है कि वह संजय मेटकरी के यहाँ 15 हजार रुपये वेतन पर काम करता है। एमओयू में यह भी लिखा है कि संजय मेटकरी ने बार पर डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किये हैं। संजय मेटकरी ने अपना आईटीआर और बैंक स्टेटमेंट कोर्ट में दिया। आईटीआर और बैंक स्टेटमेंट के अनुसार संजय मेटकरी का सालाना 15 करोड़ रुपये का टर्न ओवर है। दस्तावेज़ देखने और मेटकरी के वकील की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश को लग गया कि दाल में कुछ काला ही नहीं है, पूरी दाल ही काली है। न्यायाधीश ने अंकुश पांडोले से कहा कि यदि तुम बार के मालिक हो और डेढ़ करोड़ रुपये तुमने खर्च किये हैं तो उसका हिसाब दो। तुमने रुपये कैसे मैनेज किये। न्यायाधीश ने अंकुश पांडोले, किरण शाह, मनोज शेट्टी, मदन बल्लाल और सुनील सुपे से कहा कि अगली तारीख पर तुम सब अपना-अपना तीन साल का इन्कम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) और बैंक स्टेटमेंट लेकर आना। उसके बाद से अंकुश पांडोले, किरण शाह, मनोज शेट्टी, सुनील सुपे, मदन बल्लाल, अमर देसाई, इनका वकील और जांच अधिकारी एपीआई संदीप सहाने फरार हैं। इस बिना पर न्यायाधीश ने संजय मेटकरी को अग्रिम जमानत दे दी।
किरण शाह को मालूम है कि कोर्ट में संजय मेटकरी भारी पड़ता है, इसीलिए उसने श्याम शिंदे को ‘मैनेज’ कर नितिन शिरसाट के जरिये संजय मेटकरी को गिरफ्तार करवा दिया। ठाणे कोर्ट में जो हुआ था, बेलापुर कोर्ट में भी वही हुआ। नितिन शिरसाट भी कोर्ट से भाग खड़ा हुआ। सवाल है कि जब मैटर बोर्ड पर आएगा और मजिस्ट्रेट जब नितिन शिरसाट से पूछेगा कि जिस सब- कॉन्डक्टिंग एग्रीमेंट को संजय मेटकरी ने नहीं बनवाया। उस पर उनका कोई हस्ताक्षर नहीं है। उनका कोई रोल नहीं है तो तुमने उन्हें गिरफ्तार क्यों किया, तो नितिन शिरसाट क्या जवाब देगा ? मेरे ख्याल से नितिन शिरसाट बोलेगा – मैं एपीआई हूँ। मेरे कंधे पर थ्री स्टार लगा है। इसलिए मैं फर्जी एफआईआर दर्ज कर सकता हूँ। किसी को भी गिरफ्तार कर सकता हूँ। मैं एपीआई हूँ। एपीआई सचिन वाझे का वंशज हूँ।
दृश्य -8 : तुर्भे पुलिस स्टेशन में एफआईआर के बाद किरण शाह चुप नहीं बैठा। इसके बाद उसने ठाणे क्राइम ब्रांच की यूनिट-1 के सीनियर इंस्पेक्टर नितिन ठाकरे के पास अर्जी दी कि संजय मेटकरी उससे हफ्ता मांगता है। एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार करो। नितिन ठाकरे चूँकि सुलझे हुए ऑफिसर थे और एपीआई नहीं सीनियर पीआई थे। किरण शाह जो चेहरे से ही चीटर लगता है (फोटो देखें), तो नितिन ठाकरे को मामला फर्जी लगा। उन्होंने अर्जी को ठंढे बस्ते में डाल दिया।
दृश्य-9 : ठाणे में असफल होने के बाद भी किरण शाह शांत नहीं बैठा। इसके बाद उसने नवी मुंबई क्राइम ब्रांच में वही अर्जी दी कि संजय मेटकरी उससे हफ्ता मांगता है। इसके लिए उसने अपने मैनेजर और वाचमैन से स्टेटमेंट भी दिलवा दिया कि संजय मेटकरी बार पर आये थे और हफ्ता मांग रहे थे। इस बार किरण शाह थोड़ा सफल हो रहा था। क्योंकि यहां भी मामला एक एपीआई (राजेश गज्जल) के पास था। राजेश गज्जल ने तो संजय मेटकरी को गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली थी। यूनिट के वरिष्ठ निरीक्षक निवृत्ति कोल्हटकर को जानकारी हुई। कोल्हटकर मुंबई क्राइम ब्रांच में काम कर चुके हैं। सुलझे हुए ऑफिसर हैं। वे समझ गए मामला फर्जी है। मदन बल्लाल का भी प्रेशर यहां काम नहीं आया। किरण शाह को लगा कि पुलिस को गुमराह करने का उल्टा उसके ऊपर एक्शन हो जायेगा तो उसने शिकायत वापस ले ली।
दृश्य-10 : ठाणे क्राइम ब्रांच और नवी मुंबई क्राइम ब्रांच में मुंह की खाने के बाद भी किरण शाह चुप नहीं बैठा। बहुत खुजली है उसको। इस बार उसने ठाणे के कलवा पुलिस स्टेशन में ‘सेटिंग’ की। कलवा पुलिस ने संजय मेटकरी के मैनेजर शांताराम मोटे को कलम्बोली के उनके घर से बेवजह ‘उठवा’ लिया। पूरे दिन पुलिस स्टेशन में बैठाये रखने के बाद धमका कर, सादे कागज पर पीएसआई किरण बगदाने ने साइन लेकर छोड़ दिया। जब संजय मेटकरी ने इस घटना की शिकायत की तो साइन लिए सादे कागज पर किरण शाह ने लिखकर सबमिट कर दिया कि मुझे (शांताराम मोटे) पुलिस ने किडनैप नहीं किया था। मैं अपनी मर्जी से पुलिस स्टेशन गया था।
ध्यानार्थ : जिस सफायर बार पर किरण शाह ने कब्ज़ा कर लिया है उसे वापस पाने के लिए संजय मेटकरी ने (अ) कोर्ट में सिविल सूट फाइल की है, (ब) पहले से ही एक एफआईआर दर्ज है, (स) किरण शाह ठाणे क्राइम ब्रांच में कंप्लेंट कर चुका है, (द) किरण शाह नवी मुंबई क्राइम ब्रांच में कंप्लेंट कर चुका है, (इ) संजय मेटकरी के मैनेजर शांताराम मोटे को पुलिस से किडनैप करवा चुका है, (फ) किरण शाह का साला संतोष भोईर हर दृश्य में रहता है। मेटकरी को गिरफ्तार करते समय शिरसाट के साथ था। एपीआई राजेश गज्जल के साथ रहता था, (ज) किरण शाह का पार्टनर और पुलिस उपाधीक्षक (एसीबी, ठाणे) मदन बल्लाल पुलिस में सेटिंग करता है, (झ) संदीप वाघमोड़े ने एक जगह पुलिस को स्टेटमेंट दिया है कि अंकुश पांडोले को संजय मेटकरी के पास 15,000 रुपये महीने वेतन पर मैंने ही काम पर लगवाया था, (य) संजय मेटकरी ने अबतक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस कमिश्नर, पुलिस उपायुक्त को दर्जनों बार शिकायतें की हैं। परन्तु नितिन शिरसाट को यह सब जानने-सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसके कंधे पर थ्री स्टार जो था। उसकी दिलचस्पी तो सिर्फ संजय मेटकरी को गिरफ्तार करने में थी। सारी अक्ल उसने मेटकरी को गिरफ्तार करने में खर्च कर दी।
ख़ास बात : संजय मेटकरी शिकायत पर शिकायत करते हैं। उनकी अर्जी पर कोई पुलिस अधिकारी ध्यान नहीं देता। उल्टा माहौल बना देते हैं कि यह तो पुलिस के अगेंस्ट शिकायत करता है। एंटी पुलिस है। लेकिन किरण शाह की शिकायत पर पुलिस महकमा इतनी श्रद्धा से एक्टिव हो जाता है जैसे उनके पूज्य पिताजी का पत्र आ गया हो।
कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है। इस कहानी के एक और किरदार मनोज शेट्टी और किरण शाह अब तुर्भे पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहे हैं। इसी विवाद में किरण शाह संजय मेटकरी और उनकी पत्नी को गिरफ्तार करवाने के लिए कोशिश कर रहा है। तुर्भे पुलिस कर भी सकती है। सफायर बार से डेढ़ लाख (80 हजार सीनियर इंस्पेक्टर को) रुपये महीने का चढ़ावा जो आता है।