अकेला 

यह बात सबको मालूम है कि हिन्दुस्तान की सबसे बदनाम बैंकिंग संस्था आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) है। यह बात भी सबको मालूम है कि बैंक की पूर्व सीईओ चन्दा कोचर  (Former CEO Chanda Kochar) और उनके पति दीपक कोचर (Deepak Kochar) को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने 3,250 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था। अब एबीआई (Akela Bureau Of Investigation) सबको बता रहा है कि आईसीआईसीआई बैंक अपने कस्टमर्स के साथ कैसे चीटिंग करती है। 

जगजीतसिंह संधू

आईसीआईसीआई बैंक ने कर्ज़दार जगजीतसिंह अवतारसिंह संधू (Jagjitsingh Avtarsingh Sandhu) का इंट्रेस्ट रेट  बार-बार और बेतहाशा बढ़ा दिया। जब जगजीतसिंह संधू ने बैंक में जाकर हो-हल्ला किया तो इंट्रेस्ट रेट कम कर दिया। इतना ही नहीं जगजीतसिंह संधू ने लोन की समस्त राशि मय-ब्याज़ अदा कर दी है। परन्तु बैंक अधिकारी उन पर और राशि अदा करने का दबाव डाल रहे हैं। खाता बंद ही नहीं कर रहे हैं। आईसीआईसीआई बैंक तो पठानों जैसी हो गई है, जिसका न ब्याज़ खत्म हो रहा और न खाता बंद हो रहा है। 

54 वर्षीय जगजीतसिंह संधू उल्हासनगर-3, जिला ठाणे में रहते हैं। वे ट्रांसपोर्टर हैं। वर्ष 2005 में उन्होंने मुंबई के उपनगर मुलुंड में एक गाला खरीदा। इसके लिए उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक की ठाणे शाखा (ICICI Bank, Thane Branch) से 80 लाख रुपये लोन लिया। 29 सितम्बर 2005 को बैंक ने 80 लाख रुपये लोन पास  कर दिया। 9.50 प्रतिशत ब्याज़ के हिसाब से 180 किश्तों में उन्हें लोन अदा करना था। लोन फ्लोटिंग सिस्टम में था। शुरुआत के कुछ महीने 6,247 रुपये और फिर 83.538 रुपये प्रति माह किश्त आ रही थी। छः महीने बाद बैंक ने संधू को बिना बताये 10 प्रतिशत और उसके अगले तीन महीने बाद 11 प्रतिशत ब्याज़ कर दिया। फिर कुछ महीने में 11.50 प्रतिशत, फिर 13.50 प्रतिशत, फिर 14.25 प्रतिशत, फिर 14.50 प्रतिशत, फिर 15.25 प्रतिशत, फिर 15.75 प्रतिशत और फिर 16.50 प्रतिशत कर दिया। 16.50 प्रतिशत के हिसाब से संधू को 1,02,869 रुपये प्रति माह किश्त आने लगी।

ब्याज़ का प्रतिशत और किश्त बढ़ती गयी तो जगजीतसिंह संधू का माथा ठनका। उन्होंने बैंक के कर्मचारियों से संपर्क किया तो उन्हें कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बैंक का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी उन्हें ठीक से एंटरटेन करता ही नहीं था। उन्हें 16.50 प्रतिशत के ही हिसाब से किश्त भरने को फ़ोर्स करते थे। बैंक अधिकारी कहते थे कि यही बैंक का रूल है।

एक योजना के तहत जगजीतसिंह संधू एक दिन बैंक के ठाणे ब्रांच में कस्टमर बनकर गए। उन्होंने बताया कि उन्हें लोन लेना है। फिर बैंक कर्मचारी ने उन्हें लिखित में डिटेल्स दी और यह भी बताया कि वर्तमान में 9.50 प्रतिशत ब्याज़ चल रहा है। इस पर संधू आपे से बाहर हो गए। उन्होंने बैंक कर्मचारी से गाली-गलौज़ की। खूब शोर-शराबा किया। उन्होंने पूछा कि जब वर्तमान में 9.50 प्रतिशत ब्याज़ चल रहा है तो बैंक उनसे 16.50 प्रतिशत कैसे वसूल रही है। संधू ने इस मुद्दे पर कोर्ट और मीडिया में जाने की धमकी दी तो कर्मचारी ने प्रतिशत राशि घटा दी। 16.50 प्रतिशत से घटाकर 10.25 प्रतिशत कर दिया।  

उससे भी बड़ी बात। संधू का कहना है कि उन्होंने 80 लाख रुपये लोन लिया था। 180 माह में उन्होंने 1 करोड़ 53 लाख रुपये अदा कर दिया है। यह बात बैंक मानने को तैयार नहीं है। बैंक का कहना है कि उन्हें वर्ष 2035 तक कर्ज की रकम भरनी है। इस हिसाब से उन्हें 12 साल में 26,992.332 रुपये और भरने हैं। 

आईसीआईसीआई बैंक की इस हरकत के खिलाफ संधू ने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।

नोट : आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहक ध्यान दें कि बैंक फ्लोटिंग सिस्टम अथवा अन्य रूल्स-रेगुलेशंस को फॉलो नहीं करती। जगजीतसिंह संधू की तरह उनके कर्मचारियों, अधिकारियों को गंदी-गंदी गालियां दो। जूते से मारो। मीडिया, पुलिस और कोर्ट में जाने की धमकी दो तो वे प्रॉपर काम करते हैं। यही आईसीआईसीआई बैंक की कार्य प्रणाली और रेपुटेशन है।

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