स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के असिस्टेंट जनरल मैनेजर ने ‘ऐसे’ ठगा खुद के बैंक को, सात लाख की ऑफिस 22 लाख रुपये महीना ली किराये पर; कमीशन खाया एक करोड़ रुपये !

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अकेला 

छोटा या बड़ा, कोई भी बैंक घोटाला हो उसमें मैनेजर्स और अधिकारियों का हाथ ही नहीं, पूरा सिर-पैर इन्वॉल्व होता है। देखिये, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (State Bank Of India) के असिस्टेंट जनरल मैनेजर किशोर बड़ेकर (Assistant General Manager Kishor Badekar) ने अपने ही बैंक को कैसे ठगा। जिस प्रिमाइसेस को प्रति माह सात लाख रुपये किराये पर लेना चाहिए था, उसे 22 लाख रुपये प्रति माह पर लिया। धर्मेश शाह (Dharmesh Shah) की ही जगह में बैंक खुले इसके लिए उसने और बहुत से वॉयलेशन किये। और यह काम किशोर बड़ेकर ने मुफ्त में नहीं किया। एक करोड़ रुपये कमीशन लेकर किया। 

किशोर बड़ेकर (Kishor Badekar) इस वक्त स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) शाखा में, हाउसिंग लोन यूनिट में कार्यरत है। इसके पहले वह बोरिवली (पश्चिम) में कार्यरत था। यही शाखा शिंपोली एरिया में शिफ्ट होनी है। चूँकि बैंक किराया वक्त पर देती है। इसलिए पब्लिक अपनी जगह बैंक को किराये पर देने के लिए आतुर रहती है। ‘सेटिंग’ करती रहती है। धर्मेश शाह ने अपनी 6,000 वर्ग फुट जगह (ग्राउंड + वन) किराये पर देने के लिए किशोर बड़ेकर को ‘अप्रोच’ किया। किशोर बड़ेकर (Kishor Badekar) ने उसे अपनी ‘शर्तें’ बता दीं और आउट ऑफ़ वे जाकर हेल्प करने लगा। धर्मेश शाह (Dharmesh Shah) की प्रिमाइसेस अंडर कन्स्ट्रक्शन थी। वक्त लगने वाला था। इसके लिए धर्मेश शाह ने बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (BMC) में दो बार प्लान चेंज करवाया। फायर ब्रिगेड रूल्स का वायलेशन किया। किशोर बड़ेकर ने भी दो बार रि-टेंडरिंग करवाया। प्रिमाइसेस टेंडर प्रक्रिया में बैंक के इस्टेट डिपार्टमेंट, फाइनेन्स डिपार्टमेंट और सहायक महाप्रबंधक का रोल रहता है। किशोर बड़ेकर खुद सहायक महाप्रबंधक है। उसने इस्टेट और फाइनेन्स डिपार्टमेंट को भी मैनेज कर लिया। प्रिमाइसेस अभी भी पूरी तरह कम्पलीट नहीं हुई है। बावजूद इसके किशोर बड़ेकर ने उसे किराये पर लेने/देने की फॉर्मलिटीज़ पूरी कर दी।  

धर्मेश शाह की ही प्रिमाइसेस किराये पर लेने के लिए किशोर बड़ेकर ने इतनी मगज़मारी इसलिए की कि उसे बहुत फायदा होने वाला था। इस ‘डील’ की जानकारी रखनेवाले एक व्यक्ति ने बताया कि शिंपोली इलाके में 6,000 वर्गफुट की जगह सात लाख रुपये महीने किराये पर आसानी से मिल जाएगी। लेकिन किशोर बड़ेकर ने इतनी ही खेत्रफल की जगह को 22 लाख रुपये प्रति माह किराये पर लिया। एक करोड़ 25 लाख रुपये डिपॉजिट अलग से। 

किशोर बड़ेकर ने ‘डीलिंग’ की थी कि यदि धर्मेश शाह की प्रिमाइसेस किराये पर जाती है तो इसके लिए उसे पांच महीने का किराया किशोर बड़ेकर को देना पड़ेगा। 22 लाख रुपये प्रति माह के हिसाब से पांच महीने का किराया एक करोड़ 10 लाख रुपये होता है। किशोर बड़ेकर ने राउंड फीगर एक करोड़ रुपये ले लिया। किशोर बड़ेकर अगले साल रिटायर हो रहा है। कह सकते हैं कि उसने धर्मेश शाह से एक करोड़ रुपए का ‘रिटायरमेंट प्लान’ ले लिया।

अब धर्मेश शाह के बारे में भी जान लीजिये। धर्मेश शाह बहुत बड़ा फ्रॉड है। फ्रॉड के एक बड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने पिछले साल धर्मेश शाह की 192 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त की है। धर्मेश शाह खुद को डीडीपीएल, ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा लि, मे. यूनिकॉर्न ग्लोबल, मे. यूनिटी रियलटर्स और मे. साथ ग्रुप कंपनी का निदेशक बताता है। खुद को भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी, कुछ पुलिस अधिकारियों और माफियाओं को अपना पार्टनर बताता है। एक अज़ीब बात ये है कि बैंक प्रबंधन किसी भी प्रिमाइसेस की डीलिंग ब्रोकर के जरिये नहीं करता। ब्रोकरीज नहीं देता। बावज़ूद इसके पीयूष जोशी नामक ब्रोकर (Broker Piyush Joshi) एसबीआई (SBI) अधिकारियों के साथ बैठा दिख जाता है। धर्मेश शाह का कहना है कि पीयूष जोशी की पहुँच सीएमडी और चेयरमैन तक है। लैंड या प्रिमाइसेस की डीलिंग करने के बाद पीयूष जोशी सीएमडी, चेयरमैन, मैनेजर्स और अधिकारियों का ‘कट’ उन तक ईमानदारी से पहुंचा देता है। 

किशोर बड़ेकर और धर्मेश शाह के इस नेक्सस की शिकायत एक व्यक्ति ने 8 जून 2023 को सीबीआई, सीवीसी, एसबीआई के चेयरमैन और एसबीआई के विजिलेंस डिपार्टमेंट को की है। शिकायत की प्रति एबीआई (abinet.org) के पास है। एबीआई (ABI) ने धर्मेश शाह से इस घोटाले के बारे में स्पष्टीकरण के लिए संपर्क किया तो उन्होंने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया।

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