अकेला

राज्य चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र पुलिस प्रशासन को जबरदस्त पटखनी दी है। राज्य चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र पुलिस प्रशासन को आदेश दिया है कि हाल ही में पुलिस विभाग में हुए सभी तबादले रद्द कर दे। महाराष्ट्र पुलिस ने चुनाव आयोग का हवाला देते हुए मनमानी और बेतरतीब तबादले किये थे।

बता दें कि ABI ने 10 फरवरी 2024 को एक्सपोज्ड किया था कि चुनाव आयोग के निर्देश का हवाला देते हुए महाराष्ट्र पुलिस में बेतरतीब और नियमवाह्य तबादले किये गए हैं। न्यूज़ में विस्तार से बाकायदा सभी अधिकारियों के नाम लिखकर एक्सपोज़्ड किया था कि किस अधिकारी का कितना कार्यकाल हुआ है। जिस अधिकारी तबादला करना था उसका नहीं किया और जिसका नहीं करना था उसका कर दिया। चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि जिस अधिकारी को एक ही जगह पर सर्विस करते तीन वर्ष हो गए उसका तबादला दूसरे ज़िले में कर दिया जाए।

ABI अब यह भी एक्सपोज्ड कर रहा है कि तबादला करनेवालों ने अधिकारियों से पूछ-पूछ कर, उनकी पसंदीदा जगहों पर तबादले किये। ABI के पास इस बात के प्रमाण मौजूद हैं। अपने असमय और नियमबाह्य तबादलों से अप्रसन्न 32 पुलिस अधिकारियों ने महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण [मैट] का दरवाजा खटखटाया था। मैट ने सभी तबादलों पर रोक लगा दी थी और चुनाव आयोग को पत्र लिखकर नाराज़गी भी जताई थी।

ABI के एक्सपोज़र के बाद राज्य चुनाव आयोग सख्त हो गया। महाराष्ट्र राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव और मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीकांत देशपांडे ने राज्य के पुलिस महानिदेशक, महानिरीक्षक, ठाणे पुलिस आयुक्त, पुणे पुलिस आयुक्त, पिम्परी-चिंचवड़ पुलिस आयुक्त, नासिक पुलिस आयुक्त और सोलापुर पुलिस आयुक्त को तलब कर लिया। 20 फरवरी 2024 की सुबह 11.30 बजे ओल्ड कस्टम हाउस के जिलाधिकारी कार्यालय में चुनाव आयोग ने सबकी क्लास ली। इन अधिकारियों से तबादले की विस्तृत रिपोर्ट ली। रिपोर्ट के अनुसार ठाणे, पुणे, पिम्परी-चिंचवड़, नासिक और सोलापुर के पुलिस आयुक्त ने 226 पुलिस अधिकारियों की बदलियां कीं, जिसमें से 107 बदलियां गलत तरीके से पाई गईं। मसलन 52 प्रतिशत तबादलों में चुनाव आयोग के निर्देश का बिल्कुल पालन नहीं किया गया था।

अब यह भी ज्ञात हुआ है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि महापालिका आयुक्त, महापालिका अतिरिक्त आयुक्त, विभागीय आयुक्त तथा जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का भी तबादला कर दिया जाए।

देवेन भारती सभी आयोग-नियम-कायदा-कानून-सरकार से ऊपर

मुंबई में एक आईपीएस है देवेन भारती। यह बन्दा सभी आयोग-नियम-कायदा-कानून-सरकार से ऊपर है। यह जब से मुंबई में बतौर डीसीपी अप्वाइंट हुआ है तब से मुंबई में ही जमा पड़ा है। इसके खिलाफ सरकार के पास सीक्रेट [जांच] रिपोर्ट है कि यह समानान्तर अंडरवर्ल्ड चलाता है। मुंबई शहरवासियों और मुंबई पुलिस विभाग के लिए ख़तरा है। इतना ही नहीं, देवेन भारती की पिछली शिवसेना [उद्धव ठाकरे] सरकार गिराने में बड़ी भूमिका थी। इस भूमिका और जांच रिपोर्ट से गृह विभाग इतना प्रभावित हुआ कि उसे नई पोस्ट क्रिएट कर स्पेशल पुलिस कमिश्नर बना दिया। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान देवेन भारती संयुक्त पुलिस आयुक्त [कानून व व्यवस्था] था। तब कांग्रेस के बड़े अधिकारियों ने केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत कर इसका रातोंरात तबादला करवा दिया था। तब भी गृह विभाग देवेन भारती का इतना मुरीद था कि उसे पुलिस मुख्यालय में ही रखा। सिर्फ कुर्सी और बिल्डिंग बदल दी थी। चुनाव आयोग, कृपया ध्यान दे।

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