प्रकाश मुले

अकेला 

मामा को-ऑपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी नामक इमारत उल्हासनगर कैम्प नंबर-3 में स्थित है। इस इमारत के पुनर्विकास के लिए एफएसआई कम पड़ रही थी तो उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) के नगर रचनाकार प्रकाश मुले (Town Planner Prakash Mule) ने अपना लोमड़ीवाला दिमाग लगाया और ठाणे महानगरपालिका (Thane Municipal Corporation) का कानून फिट करके प्लान पास कर दिया। अब इंसान की जगह लोमड़ी का दिमाग लगाने के लिए प्रकाश मुले मुफ्त में तो यह काम करेगा नहीं। 50 लाख रुपये की लेनदेन की। 25 लाख खुद के लिए और 25 लाख महानगरपालिका आयुक्त अज़ीज़ शेख (Commissioner Aziz Shaikh) के लिए। 

शिवसेना पार्टी के वरिष्ठ नगरसेवक राजेंद्रसिंह भुल्लर ‘महाराज’ (Rajendrasingh Bhullar ‘Maharaj’ ने 8 मई 2023 को महापालिका आयुक्त को शिकायत कर इस मामले में प्रकाश मुले, विकासक, वास्तु विशारद और कनिष्ठ अभियंता पर कार्रवाई की मांग की है। शिकायत की प्रति एबीआई (abinet.org) के पास है।    

राजेन्द्रसिंह भुल्लर (महाराज)

मामा को-ऑपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी सीटीएस नंबर-8562, 31013, 31014, प्लॉट नंबर- 671, सेक्शन-7, उल्हासनगर-3 में स्थित है। विजय सेदाना इसका सेक्रेटरी है। इस इमारत के पुनर्विकास के लिए 50 प्रतिशत एफएसआई (FSI) की जरूरत थी। उल्हासनगर महानगरपालिका के कानून के हिसाब से सिर्फ 30 प्रतिशत ही एफएसआई दी जा सकती थी। जो काम कहीं नहीं हो सकता, वह सिर्फ उल्हासनगर में हो सकता है। मसलन इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर (IT HAPPENS ONLY IN ULHASNAGAR)। ऊपर से यहां उल्हासनगर महानगरपालिका का सबसे भ्रष्ट अधिकारी प्रकाश मुले विराजमान है। प्रकाश मुले ने ठाणे महानगरपालिका का कानून उठाया और इस इमारत में फिट कर प्लान पास कर दिया। ठाणे महानगरपालिका में पुनर्विकास के लिए 50 प्रतिशत एफएसआई का प्रावधान है। 

उल्हासनगर में किसी भी कायदे कानून का उल्लंघन थोड़ा मोड़ा नहीं होता। पूरा पूरा होता है। विकासक, नगर रचनाकार, वास्तु विशारद और कनिष्ठ अभियंता के साथ साथ आयुक्त भी मौके का फायदा उठा लेते हैं। बहती गंगा में हाथ धो लेते हैं। मामा को-ऑपरेटिव हाऊसिंग  सोसायटी मामले में भी सारे कायदे कानून की वाट लगाकर रख दी है। एक दो और मुद्दे की बात करें तो निर्माण कार्य की इज़ाज़त लेते वक़्त तीन सीटीएस नंबर (8562 (300.50 वर्ग मीटर), 31013 (409.30 वर्ग मीटर) और 31014 (189. 60 वर्ग मीटर)) का ज़िक्र किया गया है। लेकिन नगर भूमापन विभाग ने सिर्फ 8562 सीटीएस का नक्शा लगाया है। 31013 और 31014 का कहीं ज़िक्र ही नहीं है। फिर भी महानगरपालिका ने प्लान पास कर दिया। निर्माण कार्य की इज़ाज़त लेते वक़्त प्रथम वास्तु विशारद दुर्गेश श्रीवास्तव (Durgesh Shrivastav) ने सिर्फ सीटीएस नंबर 8562 और 9292 के ही डॉक्युमेंट्स प्रस्तुत किये थे। सीटीएस नंबर 31013 और 31014 का परिशिष्ट नमूना नंबर ए-1 में उल्लेख ही नहीं किया। 

एक और मजेदार बात। वास्तु विशारद ने निर्माण नक़्शे में यह डिटेल्स नहीं दिया कि पहले इमारत में कितने फ्लैट्स थे। कितने फ्लैट्स की मंजूरी थी। बिल्ट अप एरिया कितनी है। परन्तु परिशिष्ट नमूना नंबर ए-1 में वास्तु विशारद ने लिखा है कि सभी जानकारी परमीशन स्टेटमेंट में दी जाएगी। नक़्शे पर भी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। और मामा सोसायटी सात मंजिली बनकर तैयार हो गई है।

भुल्लर महाराज कहते हैं, “भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर द्वितीय वास्तु विशारद भूषण रूपानी का लाइसेंस महानगरपालिका ने रद्द कर दिया था। ऐसा-वैसा करके उसने लाइसेंस फिर से हासिल कर लिया। भूषण रूपानी (Bhushan Rupani) ने ही मामा सोसायटी के निर्माण कार्य की परमीशन दिलवाई है। इस पर भी एमआरटीपी के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।” 

सबको ऐसे ‘मामा’ बनाता है प्रकाश मुले  

प्रकाश मुले को मालूम रहता है कि इस बिल्डिंग के डॉक्युमेंट्स में क्या क्या खामियां हैं। इसने कुछ छुटभैये नेता, आरटीआई एक्टिविस्ट पाल रखे हैं। उनको ये सारी खामियां बताकर आरटीआई डालने को बोलता है। फिर बिल्डर/विकासक को यह बात लीक कर देता है कि फलां व्यक्ति ने आरटीआई डाली है। सेटिंग कर लो नहीं तो मुझे एक्शन लेना पड़ेगा। फिर आरटीआई कार्यकर्ता/नेता को मिले रुपये में से आधा खुद लेता है। मामा सोसायटी मैटर में भी इसने कई लोगों को लगभग 25 लाख रुपये दिलवाये हैं। बताते हैं प्रकाश मुले ने भुल्लर महाराज की शिकायत की बात भी लीक कर दी। फिर एक चिरकुट नेता को विकासक से 20 लाख रुपये की तोड़पानी करवा दी। नेता ने आश्वासन दिया कि वह भुल्लर महाराज को संभाल लेगा। 

प्रकाश मुले का भ्रष्टाचार तो उसके मूल में ही है। हकीकत में प्रकाश मुले की पोस्टिंग सहायक नगर रचनाकार के पद पर है। लेकिन यह नगर रचनाकार बन बैठा है। इतना ही नहीं यह सहायक निदेशक नगर रचनाकार का भी पद संभालता है। 

प्रकाश मुले भ्रष्टाचार से की गई कमाई को हर हफ्ते गोवा जाकर कसीनो में जुआ खेलकर गँवा देता है।

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